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बागबाहरा क्षेत्र के गांव-गांव में नुआखाई त्यौहार को उत्सव के साथ मनाया गया।

हेमसागर यादव. नुआखाई पर्व को उत्सव के साथ जिले में और बागबाहरा क्षेत्र के गांव गांव में भी नुआखाई त्यौहार को उत्सव के साथ मनाया गया.

धान की कटोरा कहे जाने वाला छत्तीसगढ़ अपनी परम्पराओं को लेकर जाना जाता है. इस नुआखाई पर्व को पंचमी के दिन यानी कि गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन नुआखाई पर्व मनाया जाता है. उत्सव के साथ ही अधिकांश परिवारों द्वारा नुआखाई की रस्म अदा की गई.



गांवों में नया धान के चावल का पकवान बनाकर सेवन किया गया इस दिन किसान खेतों में पके धान की बाली को घर में लाकर पूजा अर्चना करते हैं। साथ ही सभी परिवार सम्मिलित होकर घर के कुल देवी देवता की आराधना कर घर में बने पकवान को साथ बैठकर खाते हैं.

धान की रोपाई से लेकर फसल कटने तक यह के किसान विभिन्न प्रकार के उत्सव और पर्व मनाते हैं। अभी खेती-किसानी में धान की फसल में बालियां आना शुरू हो गया है किसान अब इस उत्सव को नवाखाई पर्व के रूप में गांवों में मनाई जाती है. परंपरा के रूप में मनाये जाने वाले इस त्यौहार पर लोग बम्पर फसल और अच्छी बारिश के लिए आभार के रूप में देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं. सभी परिवार सम्मिलित होकर घरों में छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाकर उत्साह के साथ लाभ उठाते है.

ग्रामीणों ने बताया कि यह परंपरा नुआखाई पूर्वजो से चली आ रही है जिसे अब तक निभा रहे हैं रहवासियों को मिलन एवं भाईचारा का संदेश देता है इससे गांव की संस्कृति व परिवार की एकता बनीं रहती है.




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