बसना : पूर्व छात्र एवं आचार्य सम्मेलन आयोजित
सरस्वती शिशु मंदिर उच्च.माध्य. विद्यालय बसना में 03 नवम्बर 2024 दिन रविवार को हर वर्ष की भॉंति पूर्व छात्र एवं आचार्य सम्मेलन रखा गया, जिसमें 71 भैया/बहिन एवं 5 आचार्य /दीदी सम्मिलित हुए। पूर्व भैया/बहिनों के स्वागत के लिए प्रवेश द्वार को रंगोली से सजाया गया तथा वहीं पर भैया/बहिनों का तिलक-चंदन से स्वागत किया गया, तत्पश्चात् मॉं सरस्वती, प्रणव अक्षर ओम एवं भारत माता के समकक्ष दीप प्रज्वलित कर सरस्वती वंदना के साथ अतिथियों का तिलक से सम्मानित किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य बताते हुए व्यवस्थापक रमेश कुमार कर ने कहा कि अपने भूले-बिसरे पलों को स्मरण कर एक दूसरे से मिलने व अपने विचारों का आदान प्रदान करने का अवसर मिलता है।
अनुभव कथन में भैया/बहिनों ने कहा कि विद्यालय और महाविद्यालयीन जीवन में बहुत अंतर होता है। विद्यालयीन जीवन में आचार्य -दीदी हमारे हर गतिविधियों पर विशेष ध्यान देते हैं परन्तु महाविद्यालय में कोई किसी से मतलब नहीं रखता है। पूर्व आचार्य अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि, इस विद्यालय के संस्कार एवं अनुशासन को अपने जीवन में अलंकार की भॉति धारण करना चाहिए। जिस प्रकार अलंकार धारण करने से मनुष्य की सुंदरता में चार चॉंद लग जाती है वैसी ही संस्कार एवं अनुशासन से मनुष्य, बिना अलंकार के भी शोभनीय होता है। भोजराज प्रधान ने कहा कि प्रत्येक कार्य को ईमानदारी पूर्वक करना चाहिए, बच्चे 25 से 40 प्रतिशत अपने गुरुजनों से सीखते हैं तथा 60 से 75 प्रतिशत अपने आसपास के वातावरण से सीखते हैं, छोटे-छोटे कार्यक्रमों में आगे आने से आत्मविश्वास बढ़ता है। आनंदराम मदनानी ने कहा कि, मनुष्य जिज्ञासु प्रवृत्ति का होना चाहिए। सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। रामचन्द्र अग्रवाल ने कहा कि, आपके पास जो ज्ञान है उसे बॉंटते रहना चाहिए, क्योंकि ज्ञान बाॉटने से बढ़ता जाता है। उसके पश्चात् कक्षा एकादश के बहिनों द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आरती साव ने कहा- कार्य में निरन्तरता होनी चाहिये साथ ही लगन व एकाग्रचित होकर कार्य सम्पादित करना चाहिए।
कार्यक्रम में आनंदराम मदनानी, रामचंद्रन अग्रवाल, रमेश कुमार कर, सुभाष शर्मा, धनेश्वर साहू, जितेंन्द्र अग्रवाल, भोजराज प्रधान, प्रवीर कुमार बेहरा, सुरेश साहू, गुणमणी साहु, चन्द्रकिरण चन्द्राकर, सपना अग्रवाल, प्राचार्य धनुर्जय साहू, प्रधानाचार्य भरोसराम साव उपस्थित थे। समस्त आचार्य, दीदीयों, भृत्यों का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन पूर्व छात्र मोहन बिहारी विशाल ने किया।