पुणे में रहस्यमयी GBS बीमारी से दहशत, एक की मौत, 16 वेंटिलेटर पर, स्वास्थ्य विभाग ने की ये अपील
महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) नाम की रहस्यमयी बीमारी से दहशत का माहौल है. इस बीमारी का केंद्र पुणे और उसके आसपास के शहर बने हुए हैं. पुणे में एक हफ्ते के भीतर ही जीबीएसने 100 से ज्यादा लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. लगातार मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. संक्रमित 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं. सोलापुर में GBS से एक मरीज की मौत की भी खबर सामने आई है.
बीते 26 जनवरी तक पुणे जिले में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के कुल 101 मामले दर्ज किए गए हैं. इन मामलों में से 81 पुणे नगर निगम (पीएमसी) से, 14 पिंपरी चिंचवाड़ से और 6 जिले के अन्य भागों से सामने आए हैं. प्रभावित व्यक्तियों में 68 पुरुष और 33 महिलाएं शामिल हैं, इनमें 16 मरीज वर्तमान में वेंटिलेटर पर हैं. वहीं राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सोलापुर में एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि की है, जो गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित था. मृतक पुणे में काम करता था और अपने गृह जिले सोलापुर गया था.
दुर्लभ और गंभीर बीमारी है GBSगुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ, लेकिन गंभीर बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही तंत्रिकाओं पर हमला करती है. इससे कमजोरी, सुन्नता या पक्षाघात हो सकता है. इस स्थिति से पीड़ित अधिकांश लोगों को अस्पताल में इलाज की जरूरत होती है. ऐसे में राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने क्षेत्र में जीबीएस के प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की है.
स्वास्थ्य विभाग ने जिले के निवासियों के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं, जिसमें पानी की गुणवत्ता बनाए रखने और ताजा, साफ भोजन खाने पर जोर दिया गया है. विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं और कोई भी लक्षण दिखने पर सरकारी अस्पताल जाएं. सरकार ने मरीजों के लिए मुफ्त इलाज का ऐलान भी किया है.
GBS बीमारी के लक्षणइस बीच बताया जा रहा है कि पुणे के विभिन्न भागों से पानी के नमूने रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए भेजे गए हैं. गुलेन बैरी सिंड्रोम के लक्षणों की बात करें तो स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जीबीएस के सामान्य लक्षणों में हाथ या पैर में अचानक कमजोरी, लकवा, चलने में परेशानी या अचानक कमजोरी और दस्त शामिल हैं. इसके चलते मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
मृतक को 9 जनवरी को हुई थी दस्त की शिकायत
मृतक के परिवार ने बताया कि 9 जनवरी को उन्हें दस्त की शिकायत हुई थी। उन्होंने डॉक्टर की सलाह पर दवा ली। 14 जनवरी को वह परिवार के साथ सोलापुर गए। 17 जनवरी को कमजोरी महसूस होने पर उन्हें 18 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया। सीए करीब छह दिन आईसीयू में रहे। इसके बाद इतना ठीक हो गए कि उन्हें सामान्य वार्ड में ले जाया गया, लेकिन अचानक उनकी हालत बिगड़ गई। शनिवार देर रात उनकी मौत हो गई।