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फिर से तेज हुई सरायपाली जिला निर्माण की मांग, अंचल की जनता को बघेल सरकार से है उम्मीद

प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार द्वारा पिछले 15 अगस्त को एक नए जिलों की घोषणा किए जाने के साथ ही सराईपाली लोगों के जिला बनाने की मांग फिर से तेज हो गई है पूर्वी छत्तीसगढ़ का प्रमुख व्यापारिक केंद्र सराईपाली वर्तमान मे महासमुन्द जिले में शामिल है भौगोलिक एवं आवागमन की दृष्टि से यहां के लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. अविभाजित मध्यप्रदेश को प्रथम मुख्यमंत्री रहे पंडित रविशंकर शुक्ल को विधायक चुनकर भेजनेवाला वाला सरायपाली क्षेत्र जिला निर्माण की दिशा में आज भी उपेक्षित महसूस कर रहा है.


बता दें कि छत्तीसगढ़ निर्माण से पहले सरायपाली का यह अंचल अविभाजित रायपुर जिले में सम्मिलित था किंतु महासमुन्द को जिला बनाए जाने के बाद महासमुन्द जिले में सम्मिलित हो गया तब से लेकर आज पर्यंत सराईपाली को जिला बनाने की मांग यहां की जनता लगातार कर रही है. लेकिन सरकारें यहां की जनता की आवाज को अनसुनी कर रही है.  

सितम्बर 2016 में राष्ट्रपति ने 70 नए विकासखंड बनाने के लिए मंजूरी दी थी, तो वहीं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में 25 नए तहसील बनाने की घोषणा की है. 70 नए विकासखंड के अनतर्गत महासमुंद जिला के पटेवा, सांकरा, कोमाखान, भंवरपुर और छुईपाली शामिल है. जिसमे से यदि सांकरा, भंवरपुर और छुईपाली को तहसील बना दिया जाता है. तो सरायपाली के जिला बनने की राह आसान हो जाएगी.

गौरतलब है कि महासमुन्द जिला मुख्यालय की दूरी सरायपाली अंचल से 120 किलोमीटर से डेढ़ किलोमीटर तक है. जहां आवागमन के लिए पर्याप्त संसाधन भी उपलब्ध नहीं है ऐसी स्थिति में सरायपाली अंचल के लोगों को जिला मुख्यालय तक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है और उनके समय और धन का भी काफी नुकसान उठाना पड़ता है.

सराईपाली क्षेत्र की जनता समय-समय पर धरना प्रदर्शन और आंदोलन भी जिले की मांग को लेकर करती रही है, लेकिन हर बार क्षेत्र के जनता की बहुप्रतीक्षित मांग को राजनीतिक तौर पर कुचल दिया गया. जिले की मांग को लेकर यहां के लोगों ने गैर राजनीतिक तौर पर बैठक में भी आयोजित की और पूर्व की रमन सरकार को ज्ञापन भी सौंपा गया लेकिन जिला बनाने की दिशा में न तो पूर्ववर्ती सरकार द्वारा ध्यान दिया गया और ना ही वर्तमान के भूपेश बघेल सरकार सरायपाली को जिला बनाने के लिए कोई ठोस पहल कर रही है.

गौरतलब है कि सरायपाली जिला के लिए भौगोलिक दृष्टि से काफी उपयोग पर देखा जा रहा है दरअसल यहां संसाधनों की कोई कमी नहीं है. सरायपाली अंचल के लोगों में जिला नहीं बन पाने से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

अंचल के सामाजिक कार्यकर्ता केसरी नंदन सेन में जिले की मांग को जायज बताते हुए कहा कि पूर्व की सरकारों द्वारा अंचल को छला गया और वर्तमान भूपेश बघेल सरकार हम उम्मीद करते हैं कि सरायपाली को प्राथमिकता के साथ जिला निर्माण कराने की दिशा में पहल करेंगे.

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेता दीपक शर्मा ने कहा कि रमन सिंह की 15 साल की सरकार अंचल के लोगों के साथ सिर्फ छलावा करती रही और भूपेश बघेल की सरकार आने के बाद निश्चित तौर पर सराईपाली को जिला बनाने की दिशा में पहल की जाएगी.

इधर भाजपा के वरिष्ठ नेता विपिन उबोवेजा ने बताया कि अंचल वासियों के जिले की मांग लंबे समय से चली आ रही है पूर्व की सरकार द्वारा क्यों इस दिशा में ध्यान नहीं दिया गया यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन वर्तमान सरकार से मांग करना चाहेंगे कि, सरायपाली के भौगोलिक दृष्टि को देखते हुए इसे जिला का दर्जा दिया जाना चाहिए.

सामाजिक कार्यकर्ता रूबी ठाकुर ने भी जिले निर्माण के दिशा में प्रदेश सरकार से सरायपाली को जिला बनाने की मांग रखी है बाहर हाल प्रदेश में एक नए जिले की घोषणा के साथ ही सरायपाली अंचल के लोगों ने भी सराईपाली को जिला बनाने की मांग अब फिर से तेज कर दी है अब देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस भूपेश बघेल की सरकार सराईपाली को जिले का दर्जा कब देती है ?









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