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विपरीत अनुपात में भागते विकास और सामाजिक कल्याण

कोयला आधारित लगभग 40 उद्योग, बिजली आधारित 50 फर्नेस प्लांट एवं 25 रोलिंग मिल। कोल वाशरी और कोयला खदान, छोटे बड़े करीब 25 ऐसे उद्योग एवं पावर प्लांट जिसमें 10,000 मेगावाट प्रतिदिन बिजली बनती है। रायगढ़ के 20 किलोमीटर के अंदर यह सभी उद्योग स्थापित है।

इस तरह का तीव्र विकास रोजगार के अवसर तो प्रदान कर रहा है लेकिन साथ ही नकारात्मक उपहार भी प्रदान कर रहा है। यहां पर लगभग 4 करोड़ टन कोयला प्रतिवर्ष जलता है एवं फ्लाई ऐश प्रति वर्ष एक करोड़ 53 लाख टन निकलती है।केलो नदी का पानी पीने योग्य नहीं रहा। कैंसर, दमा खांसी, चर्म रोग जैसे अनेक बीमारियां मनुष्य के शरीर में लग रही है।

जिले में प्रदूषण का अध्ययन कर रही आईआईटी खडगपुर के एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट कहती है कि जिले के तमनार, तराईमाल, जामगांव, चुनचुना जैसे इलाकों में पाल्यूशन की मात्रा लगातार बढ रही है।घरघोड़ा तमनार विकासखंड में पर्यावरण विभाग के द्वारा केयरिंग कैपेसिटी की एक जांच भिलाई इंजीनियरिंग कॉलेज से हाल ही में करवाई गई थी उसमें स्पष्ट था की घरघोड़ा तमनार में अब और कोयला डंफर एवं ट्रक नहीं चल सकते।एयर पाल्यूशन की रैंकिंग लगातार बढ़ती जा रही है। इन इलाकों में पीएम 10 की मात्रा सामान्य से अधिक पाई गई है। हवा में सल्फर की मात्रा भी अधिक पाई गई है।भूमिगत जल के स्रोत भी प्रदूषित हो चुके हैं।बीपी और शुगर इन इलाको में महामारी की तरह फ़ैल चुकी है।

जनता के स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगाए जाने की आवश्यकता है लेकिन उद्योगों द्वारा पर्यावरण के लिए बने नियमो का उल्लंघन जितना सहज है उतना ही असहज प्रशाशन व् पर्यावरण संरक्षण विभाग की प्रतिक्रिया उतने ही असहज।
छोटे झाड़ के जंगल के नाम पर जंगलों की अवैध कटाई की गई है। जर्जर हो चुकी सडकों में हो रहे कोल ट्रांसपोर्टेशन और उद्योगों की वजह से रायगढ़ जिले में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।

हाल ही में आम जनता के सेवक पर्यावरण मित्र संस्था के बजरंग अग्रवाल के द्वारा चीफ जस्टिस छत्तीसगढ़ ‌ हाई कोर्ट को पत्र लिखकर जिले में भयावह होते पर्यावरण प्रदूषण और अनियंत्रित तरीके से उद्योगों के स्थापना और विस्तार से वातावरण को होने वाली क्षति और आम जनता पर प्रदूषण की मार को लेकर अवगत कराया गया है।

उन्होंने रायगढ़ की जनता की तरफ से माननीय न्यायालय से निवेदन किया है कि " इस पत्र को जनहित याचिका मानकर इसमें निर्णय लेकर प्रशासन और शासन को निर्देशित करने की कृपा करें कि पर्यावरण नियमों के तहत उद्योगों की एक-एक बिंदु पर जांच कर हाई कोर्ट को अवगत कराकर पर्यावरण के नियमों के अनुसार जुर्माना एवं ताला बंदी की कार्रवाई जनहित में होनी चाहिए।"

अब इंतज़ार इस बात का है कि इस कदम को कितनी गंभीरता से लिया जायेगा और यहाँ के रहवासियों के कल्याण के लिए तीव्र एक्शन प्लान क्या होंगे।

24 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने छत्तीसगढ़ वासियों को 34 हजार 427 करोड़ रुपये की 10 परियोजनाओं का डिजिटल माध्यम से लोकार्पण एवं शिलान्यास कर विकास कार्यों की बड़ी सौगात दी। राहत की बात यह है कि इसमें कोल ऊर्जा के साथ - साथ सोलर ऊर्जा को भी महत्व दिया गया है। विज़न "अन्नदाता को बनाएंगे ऊर्जादाता" की तहत मोदी जी ने कहा "हम छत्तीसगढ़ को सौर ऊर्जा का बहुत बड़ा केंद्र बनाना चाहते है।"

सौर ऊर्जा प्रदूषण मुक्त ऊर्जा pollution free energy पैदा करता है इसलिए इसे ऊर्जा का सबसे उपयुक्त स्रोत माना जाता है। इस तरह की योजना से विकास और कल्याण एक ही दिशा की और अग्रसर हो पाएंगे।




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