news-details

तेल की कीमतों में भारी उछाल संभव, भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर

अमेरिका द्वारा ईरान पर हमले के बाद वैश्विक तनाव बढ़ा। कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल संभव। भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा सीधा असर।

अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। इस घटनाक्रम के बाद कच्चे तेल की कीमतों में उछाल की आशंका जताई जा रही है। इस महीने पहले ही कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो चुकी है।

ब्रेंट क्रूड की कीमत में बढ़ोतरी

अंतिम कारोबारी सत्र में बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड का फ्यूचर्स 77 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गया। अमेरिका के मध्य पूर्व के इस संघर्ष में हस्तक्षेप करने से कीमतों में और उछाल की संभावना बन गई है।

मध्य पूर्व में व्यापक असर की आशंका

यदि संघर्ष और बढ़ता है, तो सऊदी अरब, इराक, कुवैत और यूएई से तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। इससे न केवल तेल की कीमतें बढ़ेंगी बल्कि वैश्विक शिपिंग पर भी असर पड़ेगा। हूती विद्रोहियों ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका ने ईरान पर हमला जारी रखा तो वे जहाजों पर हमले फिर से शुरू करेंगे।

भारत की अर्थव्यवस्था पर असर

भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का लगभग 85% आयात करता है। अगर कीमतों में और उछाल आता है तो:

देश के तेल आयात बिल में भारी वृद्धि होगी।

मुद्रास्फीति की दर बढ़ेगी।

आर्थिक विकास दर पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ेगा और रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो सकता है। 

एमके ग्लोबल की रिपोर्ट के अनुसार:

ईरान प्रतिदिन लगभग 3.3 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है।

लगभग 1.5 मिलियन बैरल प्रति दिन का निर्यात करता है।

चीन इसके प्रमुख आयातक के रूप में 80% हिस्सेदारी रखता है।

होर्मुज स्ट्रेट: सबसे बड़ा चोक प्वाइंट

ईरान होर्मुज स्ट्रेट के उत्तरी किनारे पर स्थित है, जिसके माध्यम से दुनिया के लगभग 20 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल का व्यापार होता है। यह मार्ग सऊदी अरब, यूएई जैसे देशों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। ईरान पूर्व में इस मार्ग को बंद करने की धमकी भी दे चुका है।


अन्य सम्बंधित खबरें