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सरस्वती शिशु मंदिर बसना में गुरु पूर्णिमा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

सरस्वती शिशु मंदिर बसना में 10 जुलाई 2025 को गुरु पूर्णिमा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया | सर्वप्रथम महर्षि वेदव्यास, मां भारती, ओम एवं सरस्वती माता के समक्ष दीप प्रज्वलित कर सरस्वती वंदना के साथ अतिथियों एवं आचार्य दीदियों का श्रीफल, वस्त्र, तिलक चंदन से सम्मानित किया गया | तत्पश्चात भैया बहनों द्वारा गुरु के महत्व पर प्रकाश डाला गया | गुरु के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती | गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर रखा गया है | गुरु ही मनुष्य को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाते हैं | जिस प्रकार एक सोनार सोने को तपाकर उसे गहने का आकार देता है, उसी तरह एक गुरु भी अपने शिष्य के जीवन को अपने ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करता है, उसे सही गलत को पहचानने की कला सिखाता है | कहा जाता है कि एक बच्चे की प्रथम गुरु मां होती है, जो उसे इस संसार से अवगत कराती है, वहीं दूसरे स्थान पर शिक्षा गुरु होते हैं जो हमें ज्ञान प्रदान करते हैं और तीसरा दीक्षा गुरु होते हैं, जो भगवत प्राप्ति का मार्ग बताते हैं | भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि है, गुरु ऐसे व्यक्ति है जो हमें संसार में अंधकार से प्रकाश, अज्ञान से ज्ञान, अन्याय से न्याय, अधर्म से धर्म की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं | गुरु की महिमा का वर्णन हमें वेदों पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथो में विस्तृत रूप से प्राप्त होता है |


गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि आषाढ़ पूर्णिमा को ही महर्षि वेदव्यास का प्राकट्य हुआ था | महर्षि वेदव्यास को प्रथम गुरु के रूप में मान्यता दी जाती है, जिन्होंने ज्ञान को सुव्यवस्थित कर विश्व को उपहार स्वरूप प्रदान किया था, इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा कहा जाता है | गुरु पूर्णिमा के दिन शरीर की ग्रहणशीलता और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने वाला माना जाता है | भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति के अनुसार भगवान शंकर ने सप्त ऋषियों को योग की दीक्षा भी इसी दिन से प्रारंभ किया था | संघ के स्वयंसेवक किसी व्यक्ति, ग्रंथ की जगह केवल भगवा ध्वज को अपना मार्गदर्शक और गुरु मानते हैं, इसके पीछे संघ का दर्शन यह है कि किसी व्यक्ति को गुरु बनाने पर उसमें पहले से कुछ कमियां हो सकती है या अहंकार में उसके सद्गुणों का क्षय हो सकता है लेकिन भगवा ध्वज स्थाई रूप से श्रेष्ठ गुण की प्रेरणा देती है | वर्तमान समय में भी गुरु पूर्णिमा का महत्व बना हुआ है, हालांकि गुरु शिष्य परंपरा में समय के साथ बदलाव आए हैं लेकिन गुरु के प्रति आदर और सम्मान आज भी प्रबल है, आज के समय में गुरु केवल आध्यात्मिक धार्मिक ग्रंथों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह आचार्य मार्गदर्शन और प्रेरणादायक व्यक्तियों के रूप में हर क्षेत्र में विद्यमान है |

गुरु पूर्णिमा के इस पावन बेला में विभाग कार्यवाहक दयामणी सिदार, अध्यक्ष रामचंद्र अग्रवाल, उपाध्यक्ष रघुवीर प्रसाद श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष जितेन्द्र अग्रवाल, स्थानीय विद्यालय समन्वयक रमेश कुमार कर, संरक्षक सदस्य आनंद राम मदनानी, सदस्य धनेश्वर साहू, सावर अग्रवाल, प्राचार्य धनुर्जय साहू, प्रधानाचार्य भरोस राम साव समस्त आचार्य दीदीयाँ, भृत्य, वाहन चालक एवं भैया बहनों की गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम सफल रहा, इस कार्यक्रम का संचालन किशोर भारती अध्यक्ष भैया आदित्य साहू एवं बहिन तेजस्विनी बेहरा के द्वारा किया गया |


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