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ग्रीष्मकालीन धान के बदले मक्का, दलहन, तिलहन फसलों को प्रोत्साहन

जिला प्रशासन द्वारा ग्रीष्म काल में कृषकों द्वारा लगाये जा रहे धान के रकबे को कम कर मक्का, दलहन, तिलहन फसल लगाने के लिए कृषकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा विभागीय योजनाओं के तहत कृषकों को निःशुल्क एवं अनुदान पर मक्का, दलहन एवं तिलहन बीज प्रदाय किया जा रहा है।

ग्रामों में कृषकों की बैठक लेकर सिंचाई साधन वाले कृषकों को धान के बदले मक्का फसल लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। बैठक में कृषकों को बताया जा रहा है, कि ग्रीष्मकालीन धान में मक्के की तुलना में अधिक पानी की आवश्यकता, अधिक कीट व्याधि का प्रकोप, कृषि कार्यों में अधिक खर्च, कम उपज होना, उपज का कम मूल्य प्राप्त होने के संबंध में जानकारी दी जा रही है, इसके साथ ही कृषकों को बताया जा रहा है कि ग्रीष्मकालीन धान की उपज का कृषकों को 1200-1300 रूपये प्रति क्विंटल, जबकि मक्का की उपज का 1800-2200 रूपये प्रति क्विंटल मूल्य प्राप्त होता है। कृषकों की बैठक लेने के साथ ही ग्रामों में दीवार लेखन का कार्य विभाग द्वारा किया जा रहा है, जिसमें ग्रीष्मकालीन धान के बदले मक्का, दलहन, तिलहन की फसल से संबंधित स्लोगन लिख कर कृषकों को जागरूक किया जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष ज्यादा क्षेत्र में मक्का की फसल ली गई है। जिले में पिछले वर्ष 16,348 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की फसल ली गई थी, इस वर्ष अब तक 19,557 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की फसल कृषकों के द्वारा लगाई जा चुकी है, जिसे बढ़ाकर 30,000 हेक्टेयर करने का लक्ष्य विभाग द्वारा रखा गया है।

ग्रीष्म काल में धान के फसल के बजाय अन्य लाभकारी फसलों जैसेः- मक्का, दलहन, तिलहन इत्यादि फसल लेने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले में गत वर्ष 6331 हेक्टेयर क्षेत्र में ग्रीष्म कालीन धान की फसल ली गई थी, जिसका लक्ष्य इस वर्ष कम कर तीन हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ग्रीष्म कालीन धान की फसल लेने का लक्ष्य रखा गया है तथा क्षेत्र में मक्का, दलहन, तिलहन फसल लेने का प्रयास कृषि विभाग द्वारा किया जा रहा है।




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