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पोषण पुनर्वास केन्द्र के तहत जिले के 845 बच्चे हुए लाभान्वित

पोषण पुनर्वास केन्द्रों में कुपोषित बच्चों को नया जीवन मिल रहा है, ऐसे बच्चें जो गंभीर कुपोषित होते हैं उन्हें स्वास्थ्य केन्द्रों में जिले के स्वास्थ्य केन्द्रों में स्थित पोषण पुनर्वास केन्द्रों में भर्ती किया जाता है तथा उनका ईलाज एवं खान-पान का ध्यान रखा जाता है। पोषण पुनर्वास केन्द्रों में अब तक 845 बच्चों को कुपोषण से मुक्ति मिली है।

कलेक्टर के मार्गदर्शन में जिले के कांकेर, नरहरपुर, भानुप्रतापपुर, कोयलीबेड़ा, अंतागढ़ और पखांजूर के अस्पतालों में पोषण पुनर्वास केन्द्र का सफल संचालन किया जा रहा है। अंतागढ़ तहसील के ग्राम कौड़ो खसगांव निवासी रंजीता नुरेटी बताती है कि जब मेरी बेटी लिशा नुरेटी कमजोर हो गई थी, तब गांव के पटेलपारा आंगनबाड़ी केन्द्र के कार्यकर्ता ने पोषण पुनर्वास केन्द्र में अपने बच्चें को भर्ती करने की सलाह देते हुए बताया कि इससे बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार होती है, साथ ही अस्पताल में 15 दिवस भर्ती रहने पर क्षतिपूर्ति के रूप में प्रतिदिन 150 रूपये के मान से 2250 रूपये का मानदेय प्रदान किया जाता है, साथ ही बच्चे की माता को बच्चे की देखभाल करने के लिए विशेष प्रशिक्षण व खान-पान के संबंध में जानकारी दिया जाता है। यह सुनकर रंजीता नुरेटी बेहद खुश हुई और दूसरे ही दिन अपने अपनी बेटी लिशा को पोषण पुनर्वास केन्द्र अंतागढ़ में भर्ती कराया, उस समय बेटी लिशा का वजन 6 किलो 40 ग्राम था। पोषण पुनर्वास केन्द्र में 15 दिन भर्ती रहने के बाद कुमारी लिशा नुरेटी का पुनः वजन कराया गया, तो उसका वनज बढ़कर 7 किलो 70 ग्राम हो गया और बच्ची स्वस्थ्य भी हो गई। अपनी बच्ची के सेहत में सुधार होने से प्रफुल्लित रंजीता नुरेटी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया।

इसी प्रकार ग्राम ताड़ोकी के पुनीता बघेल को अपने कुपोषित बच्चे अक्ष बघेल को पोषण पुनर्वास केन्द्र अंतागढ़ में भर्ती करने की सलाह उसके गांव के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा दी गई तथा वहॉ भर्ती होने के फायदे से अवगत कराया गया, उनकी सलाह पर पुनिता बघेल ने अपने पुत्र अक्ष बघेल को पोषण पुनर्वास केन्द्र अंतागढ़ में भर्ती कराया, उस समय उसका वजन 6 किलोग्राम था, अंतागढ़ के पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती होने के बाद अक्ष बघेल का देखरेख के साथ ईलाज भी होने लगा, जिसके फलस्वरूप उसके सेहत में सुधार हुआ तथा 15 दिवस के बाद उनका वजन बढ़कर 7 किलोग्राम हो गया। पोषण पुनर्वास केन्द्र से सुपोषित हुए अपने बच्चे को देखकर पुनीता बघेल बेहद खुश हुई और वे भी आसपास के सभी कुपोषित बच्चों के माताओं को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भेजने के लिए प्रोत्साहित करने लगी। कुपोषित बच्चों के लिए पोषण पुनर्वास केन्द्र वरदान साबित हो रहा है।




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