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छानबीन समिति ने दिया प्रमाण पत्र निरस्त करने का आदेश, जाति साबित करने में पूरी तरह विफल

खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमृत रोहेल्डर को जाति प्रमाण पत्र के मामले में उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति का फैसला आने के बाद, एक बार फिर से फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है.

समिति ने फैसला सुनाते हुए  डॉ. अमृत रोहेल्डर के पक्ष में कार्यालय कलेक्टर आदिम जाति कल्याण विभाग रायपुर एवं अन्य विभागीय अधिकारी सरायपाली द्वारा वर्ष  2000 को जारी उरांव जाति अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र को विधि संगत ना पाए जाने पर निरस्त किए जाने आदेश जारी किया है.

6 सदस्य समिति ने 15  जनवरी 2020 को जारी आदेश में नियम 2013 के नियम 23 में विहित प्रावधानों के अनुरूप फर्जी प्रमाण पत्र को निरस्त कर आवश्यक कार्यवाही किए जाने के लिए पुलिस अधीक्षक सतर्कता प्रकोष्ठ एवं उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण समिति को अधिकृत किए जाने का आदेश जारी किया.

17 मई 2000 को डॉ. अमृत रोहेल्डर पिता बालवीर के पक्ष में कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी सरायपाली जिला महासमुंद द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र को चुनौती देते हुए सरायपाली निवासी लक्ष्मण नागवंशी ने उच्चस्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति कार्यालय आयुक्त आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विभाग रायपुर से जांच कराने की मांग की.

जाति प्रमाण पत्र धारक शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत विभिन्न दस्तावेजों विजिलेंस सेल को अवशोषण रिपोर्ट के आधार पर छानबीन समिति ने आदेश पारित किया है डॉक्टर शासकीय सेवा में नियुक्त आदेश के अनुसार 15 जनवरी 2001 को सहायक शल्य चिकित्सा के पद पर की गई है. 

1982 को कलेक्टर रायपुर मध्य प्रदेश से एवं अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय सरायपाली से सन 2000 को अमृत रोहेल्डर पिता बलवीर के पक्ष में उरांव अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया है.

ग्राम पंचायत कुटेला के ग्राम सभा बैठक में 30 7 2001 के अनुसार अमृत की माता प्रेम कुमारी का विवाह कार्ल रोहेल्डर जर्मन नागरिक से होने पर उनकी जाति के संबंध में कोई जानकारी नहीं होना उल्लेखित किया गया है.

डॉ अमृत रोहेल्डर द्वारा स्वयं तैयार की गई वंशावली में चमरा पुत्र फ्रांसिस पुत्र कार्ल रोहेल्डर उर्फ बलवीर तिग्गा उल्लेखित कर गलत वंशावली प्रस्तुत किए जाने के बाद सामने आई है. जबकि फ्रांसिस नाना एवं चमरा परनाना होना पाया गया है.

जाति प्रमाण पत्र धारक अमृत रोहेल्डर द्वारा 1950 के पूर्व की स्थिति में ऐसा कोई भी सुसंगत अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया जा सका जिससे उनके द्वारा दावा की गई जाती उरांव प्रमाणित होती हो.

इस तरह छानबीन समिति ने संपूर्ण जांच एवं अन्वेषण से जाति प्रमाण पत्र धारक डॉक्टर अमृतलाल रोहेल्डर चिकित्सक के द्वारा अनुसूचित जन जाति का जाति प्रमाण पत्र का लाभ लिया जाना पाया गया है.

दावा की गई जाती साबित करने में पूर्णत विफल रहे इस प्रकार धारक की जाती उरांव अनुसूचित जनजाति होना नही पाया है.




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