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इक्कीस दिवसीय लॉक डाउन के साथ ही शुरू हो चुकी है कोरोना की उल्टी गिनती, बस कतार न तोड़ें

ताला खुलने तो दें कोरोना साफ हो जाएगा - स्वास्थ्य विभाग

इन दिनों कोरोना वायरस हर आम और खास शख्स की दिनचर्या में डरावना सबब बन बैठा है। मगर, ऐसा पहली दफा तो नहीं हुआ, इससे पहले भी हमने बड़े से बड़े मर्जों से उबरने में आपेक्षित सफलताएं पायीं हैं। लेकिन इस बार हल निकालने के लिए प्रायोगिक अनुसंधान से कहीं ज्यादा जरूरी है कि चाबी मिलने तक संयम बनाए रखना

महासमुंद 29 मार्च 2020/ रविवार की सुबह आंखें खोलते ही जिले की अधिकांश आबादी के मन में पहला प्रश्न रहा कि देखें बीती रात कोविड-19 की बीमारी से मर जाने वालों की संख्या अब कितनी हो गई है, फिर गर्मा-गर्म चाय की प्याली के साथ अखबार के पन्ने पलटते बैठे और लग गए कोसने दुनिया भर के लोगों को, की उनकी वजह से बीमारी फैली, अब तक पक्का इलाज भी नहीं ढूंढा और लगे हमें सड़कों से खदेड़ने। जरा रुकिए अब तक के आंकड़ों पर एक नजर और दौड़ा कर देखिए तो देखिए तो, यहां उठने और जागने के बीच की गहराई भेद समझ आएगा। वर्ष 2019 के दिसंबर माह से यह भयंकर विषाणु चीन के वुहान शहर से फैला और अब तक दुनिया के एक सौ नब्बबे देशों को चपेटे में लेकर छह लाख उन्नयासी हजार नौ सौ सत्तर संदिग्धों में इक्कतीस हजार सात सौ चौंतीस को असमय मौत की नींद सुला गया। वहीं, प्रदेश में बुरी खबर के रूप में कुल छह प्रकरणों की कोविड 19 पुष्टि के साथ अच्छी खबर भी बनी हुई है कि एक भी प्रकाण में पीड़ित की मौत नहीं हुई हैं। यहां, खतरे से आगाह करते हुए जिला कार्यक्रम प्रबंधक श्री संदीप ताम्रकार कहते हैं कि वर्तमान में स्थिति अब भी नियंत्रण में है। मगर, ं सोच कर देखिए कि अगर यह सिलसिला प्रदेश के साथ-साथ जिले में तीसरे चरण तक आ धमका तो मंजर क्या होगा। संक्रमित पीड़ितों की संख्या की तादाद भी एकाएक बढ़ जाएगी और क्वारंटीन केंद्रों के भरने व रेस्पिरेटरी रिकव्हरी के लिए वेंटिलेटर जैसे साधनों की भी कित्त्ल हो सकती है। ऐसे में जो अंतर समझ गए उन्होंने इस वैश्विक महामारी के विरुद्ध लड़ाई में नैतिक जिम्मेदारी निभानी कब की शुरू कर दी है। आप भी लॉक डाउन मतलब अपनी तालाबंदी न समझिए। असल में सरकार तो कोरोना वायरस को कैद करना चाहती है, ताकि तेजी से फैल रहे संक्रमण पर इन इक्कीस दिनों के भीतर ही पूरी तरह से लगाम कस ली जाए और वायरस को मार कर हम सबका जीवन सुरक्षित हो सके।

कोरोना वायरस संक्रमण दल के जिला नोडल अधिकारी डॉ अनिरुद्ध कसार की मानें तो दुर्भाग्य से बड़े ही शर्म की बात है कि स्पेन, इटली और अमेरिका जैसे देशों की तरह हमारे यहां भी कोने-कोने में ऐसे आत्मघाती और समाज के दुश्मन अब भी गतिशील हैं, जिन्हें न तो स्वयं की जान की चिंता है और न ही अपनों की सलामती की परवाह। और तो और कुछ लोग जो मनोरंजक स्थल, सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल, मेले बाजार सहित दफ्तर इत्यादि पर पाबंदी लगाए जाने के बावजूद (दैनिक अनिवार्यता के अलावा) अब भी आंखें मूंद बेधड़क, अकारण, बाहर घूम कर संक्रमण को सीधा निमंत्रण दे रते हैं और जब नियंत्रणकर्ता पुलिस उन पर लाठियां बरपाती है, तब भी बेशर्मी की हदें पार कर आपसी टकराव जैसे भ्रामक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल कर मजे से शेयर किए जा रहे हैं। इस पर नियंत्रण करने में बेवजहर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभग के अफसरों की मेहनत बढ़ती जा रही है।

इधर, कोराना वायरस संक्रमण नियंत्रण दल के डॉ छत्रपाल चंद्राकर की मानें तो जिले में विदेश यात्रा या यात्री संपर्क में चिन्हांकित संदिग्ध प्रकरणों में होम आइसोलेशन में रखे गए तकरीबन 28 से अधिक मरीजों के लिए लगातार समझाइश दौर जारी है। जबकि कई ऐसे नए प्रकरण उजागर होने के भी अनुमान हैं जो में आए हैं, जिनके सिर पर मौत का साया मंडराया हुआ है फिर भी वे पहचान छिपाए दुबके हैं। इन्हें कोई तो समझा दे कि कम से कम आप तो सतर्कता की गांठ बांध लें, चूंकि संक्रमण को और अधिक फैलने से रोकने के लिए आइसोलेश ही एकमात्र उपाए है।

दूसरी ओर सिविल सर्जन सह असपताल अधीक्षक डॉ आरके परदल कहते हैं कि बुद्धिजीवी वर्ग की राय में संघर्षशील दौर में एक दिवसीय कर्फ्यू और इक्कीस दिवसीय तालाबंदी से लेकर आइसोलेशन की व्यवस्था तक सरकार द्वारा लिए गए अहम फैसलों का मूल्यांकन उचित ठहराया जाता है। साथ ही असाध्य महामारी के रूप में उभरी इस विक्राल समस्या से उबरने के लिए, चिकित्सा विज्ञान के दिग्गजों के यथासंभव प्रयासों का ही परिणाम है कि भारत में कुल संक्रमित एक हजार सढ़सठ प्रकरणों में मात्र 28 प्रकरणों में मृत्यू की सूचना सहित तकरीबन तीन अंकों में पीड़ितों के ठीक हो जाने के आंकड़े भ्मिलने की भी सूचनाएं हैं। बड़ी संख्या में मरीजों को मौत के मुंह से बचा लाया गया। आगामी नवीन अनुसंधान व उचित देख-भाल के अनुमान लिए कोविड 19 पीड़ित मरीज और उनके चाहने वालों में नवजीवन की आशाएं अब भी बरकरार है।

समय रहते चेत जाए

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एसपी वारे ने अपील करते हुए कहा कि यहां हमारी दयनीय तो बिलकुल नहीं है लेकिन भूमिका जूरूर चिंताजनक निंदनीय स्थिति तक सिमटती हुई अनुभूत है। जबकि, अब भी समय है कि हम चेत जाएं। मांग भी यही है कि चाहे राजा हो या प्रजा, अफसर हों या नौकर क्या फर्क पड़ता है, समस्या तो सभी की एक ही है। अतएव, हमें चाहिए कि अपनी-अपनी जिम्मेदारियां ईमानदारी से निभाएं और जीवन-रक्षण की ओर सर्वहित में अनुकरणीय कदम उठाएं।




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