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मातृ दिवस के शुभ अवसर पर बच्चों के नाम एक संदेश

गौरव चंद्राकर. मातृ दिवस के उपलक्ष में आप सभी को ढेर सारी बधाई प्रत्येक बच्चे के लिए आज का दिन बहुत ही अनमोल है। आज आपके जीवन का सबसे अनमोल रतन अपनी मां को पूजने का ,प्यार करने का और संवारने का दिन है। बच्चो आज आप इस दुनिया में है तो उसी मां के बदौलत है।

मां शब्द जितना छोटा है उसकी व्याख्या तीनो लोक के स्वामी भी मिलकर नहीं कर पायेंगे क्योंकि इस दुनिया में 9 महीने गर्भ में जिस प्रकार आपको अपने लहू के कतरे, सांसों की धड़कन और सारे विघ्न बाधाओं से अक्षुण्ण रखती है वह अपने आप में ईश्वर की एक अद्भुत करिश्मा है जो कि इस धरा पर सिर्फ मां को ही प्राप्त है लेकिन एक मां का कार्य यहीं समाप्त नहीं होता जन्म देने के बाद अपने अमृत रूपी दूध से आप को पाल - पोस कर बड़ा करती है सारी दुनिया की बाधाओं से आप को सुरक्षित रखते हुए, आपके सारे गम को अपने हृदय में छुपा कर नित्य नये आशीर्वचनों से आपके जीवन मार्ग को प्रशस्त करती है । इस उम्मीद से की एक दिन मेरा लाल इस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ इंसान बनेगा/बनेगी ।दुनिया मेरे लाल के नाम से मुझे जानेगी ,यही अभिलाषा एक मां की होती है। अपने जीवन काल में एक मां अपने बच्चे को संरक्षण देती ही है जीवन के बाद भी अपने संतान को हमेशा आशीर्वचन के कवच कुंडल में संजो कर रखती है।

अतः ऐसे बच्चे जिनकी मां इस दुनिया में नहीं है उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है आपकी मां हमेशा आपके जीवन के साथ-साथ आशीर्वचन रूपी परछाई के समान आपके साथ चल रही है।

आज मातृ दिवस के शुभ अवसर पर हम सभी , अभिभावक , बच्चे अपनी -अपनी मां के चरणों में पांच संकल्प रूपी वचनों से उनका मान बढ़ाएं:-

1) हम यह प्रण करते हैं कि हम ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे मेरी मां की आंखों में आंसू आएंगे।

2) हम जीवन में छोटा या कोई भी बड़ा कार्य मां की अनुमति और आशीर्वाद के बिना नहीं करेंगे।(बच्चों आप कभी जीवन में कुछ बड़ा करने जा रहे हैं तो हो सकता है आपकी माता भविष्य की आशंकाओं से भयभीत होकर आपको अनुमति ना दे लेकिन इससे घबराना नहीं है , उन्हें प्यार से समझना है।

3) चाहे हम कितनी भी बड़ी गलती क्यों नहीं किए हो मां से कभी झूठ नहीं बोलेंगे । बच्चों याद कीजिए कन्हैया भी अपनी मां की आशु पोछते हुए कहा था मां "मैंने ही माखन खायो"।

4) हम जीवन में ऐसा कोई भी कार्य नहीं करेंगे जिससे मेरी मां के आंचल पर दाग लगेगा।

5) मां के दूध का कर्ज इस दुनिया में कोई नहीं उतार सकता लेकिन हम उनकी इतनी सेवा करें की चारों धाम का सुख उनके चरणों में हमें प्राप्त हो जाए।





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