आरबीआई ने नए राहत उपाय किए, ब्याज दरों में कटौती, ऋण स्थगन बढ़ाने का फैसला
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कोविड-19 संकट के प्रभाव को कम करने के
लिए ब्याज दरों में कटौती, कर्ज अदायगी पर ऋण स्थगन को बढ़ाने और कॉरपोरेट
को अधिक कर्ज देने के लिए बैंकों को इजाजत देने का फैसला किया। गौरतलब है
कि चार दशकों से अधिक समय में पहली बार अर्थव्यवस्था संकुचन के दौर से गुजर
सकती है।
आरबीआई ने प्रमुख उधारी दर को 0.40 प्रतिशत घटा दिया।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अचानक हुई बैठक में वृद्धि को बढ़ावा देने
के लिए रेपो दर में कटौती का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। इस कटौती के बाद रेपो दर घटकर चार प्रतिशत हो गई है, जबकि रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत हो गई है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी ने पिछली
बार 27 मार्च को रेपो दर (जिस दर पर केंद्रीय बैंक बैंकों को उधार देता है)
में 0.75 प्रतिशत की कमी करते हुए इसे 4.44 प्रतिशत कर दिया था।
दास ने कहा कि कोरोना वायरस संकट के कारण कर्ज अदायगी पर ऋण स्थगन को तीन
और महीनों के लिए अगस्त तक बढ़ा दिया गया है, ताकि कर्जदारों को राहत मिल
सके।
इससे पहले मार्च में केंद्रीय बैंक ने एक मार्च 2020 से 31 मई
2020 के बीच सभी सावधि ऋण के भुगतान पर तीन महीनों की मोहलत दी थी। इसके
साथ ही इन तरह के सभी ऋणों की अदायगी को तीन महीने के लिए आगे बढ़ा दिया
गया था।
ऋण स्थगन के तहत लोगों से कर्ज के लिए उनके खातों से ईएमआई नहीं
ली गई। रिजर्व बैंक की ताजा घोषणा के बाद 31 अगस्त को ऋण स्थगन की अवधि
खत्म होने के बाद ही ईएमआई भुगतान शुरू होगा।
दास ने कहा कि छह महीने के ऋण स्थगन को सावधि ऋण में बदला जा सकता है। आरबीआई ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते आर्थिक गतिविधियां बाधित
होने से भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि वित्त वर्ष 2020-21 में
नकारात्मक रहेगी।
दास ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है और मुद्रास्फीति के अनुमान बेहद अनिश्चित हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘दो महीनों के लॉकडाउन से घरेलू आर्थिक गतिविधि
बुरी तरह प्रभावित हुई है।’’ साथ ही उन्होंने जोड़ा कि शीर्ष छह औद्योगिक
राज्य, जिनका भारत के औद्योगिक उत्पादन में 60 प्रतिशत योगदान है, वे
मोटेतौर पर लाल या नारंगी क्षेत्र में हैं।
उन्होंने कहा कि मांग में गिरावट के संकेत मिल रहे हैं और बिजली
तथा पेट्रोलियम उत्पादों की मांग घटी है। गवर्नर ने कहा कि सबसे अधिक झटका
निजी खपत में लगा है, जिसकी घरेलू मांग में 60 फीसदी हिस्सेदारी है।
दास ने कहा कि मांग में कमी और आपूर्ति में व्यवधान के चलते चालू
वित्त वर्ष की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी। उन्होंने
कहा कि 2020-21 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में कुछ सुधार की
उम्मीद है।
दास ने कहा कि मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण बेहद अनिश्चित है और
दालों की बढ़ी कीमतें चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि कीमतों में नरमी
लाने के लिए आयात शुल्क की समीक्षा करने की जरूरत है।
उन्होंने
बताया कि वित्त वर्ष की पहली छमाही में प्रमुख मुद्रास्फीति की दर स्थिर रह
सकती है और दूसरी छमाही में इसमें कमी आ सकती है। उनके मुताबिक चालू वित्त
वर्ष की तीसरी या चौथी तिमाही में मु्द्रास्फीति की दर चार प्रतिशत से
नीचे आ सकती है।
इसके अलावा दास ने कहा कि महामारी के बीच आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने से सरकार का राजस्व बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। इसके
अलावा बैंकों द्वारा कॉरपोरेट को दी जाने वाली ऋण राशि को उनकी कुल
संपत्ति के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है। ऐसे में बैंक
कंपनियों को अधिक कर्ज दे सकेंगे।