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कोविड -19 के गुमनाम योद्धा-जिनका कभी किसी ने जिक्र भी नही किया..

जगन्नाथ बैरागी. भारत एक कृषि प्रधान देश है। वर्तमान में जहाँ दुनिया भर के सामंत देश कोविड-19 के प्रकोप को झेल नही पाया, विश्व की महाशक्तियों ने आत्म समर्पण कर दिया, कई देश भुखमरी के कगार पर आ गए हैं, वही एकलौता हमारा देश कोरोना के प्रहार को झेल भी रहा है और उसका डट कर सामना भी कर रहा है।

गरीबो तक मुफ्त में 3 माह का राशन प्रदान किया जा रहा है। प्रदेश में कई वर्षों से 3  रुपये, 1 रुपये में चावल वितरण किया जा रहा है क्यों? देश मे अनाज की कोई कमी महसूस नहीं हो रही है क्यों? प्रत्येक वस्तु की मूल्य में वृद्धि हुई पर साग- सब्जी,  अनाज की नही, क्यों ?  जो इंसान के जीने के महत्वपूर्ण वस्तुएँ है सब आसानी से उपलब्ध हो रहा है क्यों ?

जहां हमारे देश के हॉस्पिटल, पुलिस, प्रशासन, म्युनिसिपल फील्ड,  राजस्व विभाग की सबकी प्रशंसा हो रही है,  वहीं एक विभाग बिना किसी लाइम लाइट के देश को लगातार सम्बल दे रहा है वो है कृषि विभाग.

किसानों और कृषि कर्मचारियों ने इस संकट की घड़ी में न तो देश को रुकने दिया न ही झुकने दिया, केंद्र एवं राज्य सरकार के योजना हो,  उत्पादन हो,  मांग के अनुरूप आपूर्ति हो,  इस लॉकडाउन में भी आम जन को किसी भी प्रकार की कमी नही होने दी हमेशा किसानों एवं देश के साथ खड़े रहे।

प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा घुरवा गरवा बाड़ी, गोठान से लेकर किसानों की रबी सीज़न में सलाह, खाद बीज की उपलब्धता तक ये विभाग सरकार के साथ खड़े रहे. कृषि विभाग के इन्ही योद्धाओं के कठिन परिश्रम से आज छतीसगढ़ प्रदेश कई बार कृषि कर्मण पुरस्कार भी प्राप्त करते आ रही है। परंतु दुर्भाग्यवश जो इज़्ज़त इन्हें मिलनी चाहिए वो कभी नही मिली।

बिना किसी ग्रीष्मकालीन अवकाश के कृषि विभाग बरसात गर्मी ठंढी की मार झेले अपना कार्य करते रहे है। और अब कोरोना काल मे भी कृषि विभाग सभी के साथ हैं.

देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के साथ जब देश मे कोरोना का आक्रमण हुवा तो कृषि विभाग भी इसमे कूद पड़ी. हमारे संवाददाता जगन्नाथ बैरागी ने जब पता लगाया तो सारंगढ़ कृषि विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी जिला के चेक पोस्ट की जवाबदारी कृषि विभाग के कंधों पर थी.  साथ ही कोरेन्टाइन सेंटर में नोडल एवम श्रमिको की व्यस्थापन कार्य की जिम्मेदारी भी कृषि विभाग ने बेहतरी के साथ निभाया था.

जब कोरोना का कदम छत्तीसगढ़ में पड़ा तो किसानों के साथी कृषि विभाग ने खुद के खर्चे से 1000 मास्क किसानों तक बाटे हैं, एवम अपने किसानों को हैंड वाश एवं मास्क की महत्ता समझाने में जुट गए थे.

अपनी दोहरी भूमिकाओं के साथ बिना किसी उम्मीद से सरकार के एवं किसानों के साथ कदम से कदम मिलाकर संकटकाल में साथ निभाने वाले इन योद्धाओं को सलाम। जय-जवान, जय- किसान.






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