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पंचायत के गैरजिम्मेदार रवैया से क्वारेंटाईन सेंटर में शिशुवती महिला की मृत्यु, मानवता भी शर्मसार.

कल क्वारेंटाईन सेंटर में रह रही महिला के मृत्यु होने की खबर आई थी, जिसके बाद अब महिला की मौत के पीछे पंचायत के सरपंच, सचिव, पटवारी और नोडल अधिकारी का गैर जिम्मेदार रवैया सामने आ रहा है.  

मामला सरायपाली ब्लाक के ग्राम पंचायत कलेंडा का है जो मानवता को शर्मसार करने वाला है, एक महिला जो कि सिकलीन बीमारी से पीड़ित थी, कुछ दिन पहले उसने 18 मई को रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में जुड़ावा बच्चों को जन्म दिया था, उसके बाद भी उसे क्वारेंटिंन सेंटर में रहना पड़ा, जबकि राज्य शाशन के नियम के अनुसार ऐसी महिला को होम क्वारेंटाईन किया जा सकता था.

जानकारी के अनुसार जिस मोहल्ले में उस महिला का घर था, उस मोहल्ले के आस-पास के लोगो ने उस शिशुवती महिला को झगड़ा कर प्रवेश देने से मना कर दिया गया और मज़बूरी वश महिला को स्कूल में रहने को विवश होना पड़ा.

जब उस शिशुवती महिला का होम क्वारेंटाईन में रहने का विरोध किया जा रहा था तो उस बात की जानकारी केलेंडा के सचिव ने नोडल अधिकारी एलके चौहान जो कृषि विभाग में पदस्थ हैं उनको जानकारी दी थी, लेकिन नोडल अधिकारी द्वारा पुलिस प्रशासन या एसडीएम को जानकारी देना उचित नही समझा और कुछ लोगो के आपत्ति जताने के कारण एक शिशुवती महिला को शासन के नियम का उलंघन कर क्वारेंटिंन सेंटर भेज दिया गया.

अगर उचित समय पर इस आपत्ति और विरोध, झगड़ा वाली बात पुलिस प्रशासन या एसडीएम तक पहुँच पाती तो आज उस महिला की जान बच सकती थी.

जानकारी के अनुसार गांव के कोटवार ने भी महिला के साथ झगड़ा औऱ विरोध की बात को क्वारेंटिंन सेंटर के जिम्मेदार पटवारी सुनील पटेल को दिया. और बताया कि महिला के साथ झगड़ा किया जा रहा है, जिसके बाद कोटवार के कहे अनुसार पटवारी को जानकारी दिया गया लेकिन पटवारी सुनील ने कहा कि गाँव के बात गाँव तक रहना चाहिए स्कूल में क्वारेंटिंन सेंटर में भेज देते है. इस तरह एक नोडल अधिकारी और पटवारी के गैर ज़िम्मेदारी के कारण एक महिला की मौत हो गई.

क्वारेंटिंन सेंटर में रह रहे लोगो ने बताया कि यहाँ पंचायत के द्वारा कुछ भी सुविधा मुहैया नही करवाया जा रहा था यहां तक कि खाना भी स्वयं घर के परिजन लाकर देते थे, तभी मिलता था.

आरोप तो यह भी लगाया गया है कि सौर्य ऊर्जा से 10 बजे पानी आता था, जिसके बाद ही पानी मिलता और मौसम खराब होने की वजह से कभी कभी पानी भी नसीब नही होता.

होम क्वारेंटिंन सेंटर में रह रहे लोगो ने बताया कि देर रात अचानक महिला को सांस लेने में तकलीफ हुई और दर्द के कारणों से चिल्लाने लगी और बेहोश हो गई. जिसके बाद फोन कर जानकारी दिया गया तब 112 वाहन पहुंचे लेकिन उस वाहन में महिला को ले जाते नही बना जिसके बाद 108 को बुलाया गया. तब जाकर शिशुवती महिला को स्वास्थ केंद्र ले जाया गया जहां महिला को मृत घोषित कर दिया गया.

इस सम्बंध में जिला कलेक्टर श्री गोयल ने कहा कि ग्राम पंचायत अपने ही लोगो को नही सम्हाल पा रही है तो इससे बड़ी अमानवता क्या होगी, कलेक्टर ने कहा कि अगर स्वास्थ विभाग ने होम क्वारेंटिंन सेंटर में रखने आदेश जारी किया था तो उसको कोई बदल नही सकता उसकी भी जांच होगी.

सरायपाली विधायक श्री किश्मत लाल नन्द ने कहा कि राज्य सरकार का साफ-साफ निर्देश है कि गर्भवती और शिशुवती महिला को सार्वजनिक क्वारेंटिंन सेंटर में नहीं रखना है, लेकिन फिर भी सरपंच सचिव द्वारा लापरवाही बरती गई और नियमो को अनदेखा किया गया. लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के ऊपर कार्यवाही होनी चाहिए.




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