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कृषि उत्पादन आयुक्त ने मुढ़ीपार स्थित वन औषधि रोपणी केन्द्र और दुग्ध सहकारी समिति गोड़बहाल का किया अवलोकन

राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा अउ बारी के अंतर्गत स्थापित गौठानों को रोजगार परक बनाने के उद्देश्य से गोधन न्याय योजना का शुभारंभ 21 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के अवसर पर होने जा रहा है। इस संदर्भ में 04 जुलाई को कृषि उत्पादन आयुक्त डाॅ. एम.गीता जिले के विकासखण्ड पिथौरा के ग्राम मुढ़ीपार में वनविभाग द्वारा संचालित वन औषधि रोपणी केन्द्र पहुॅचीं। इस केन्द्र में वन औषधि रोपणी समूह द्वारा किए जा रहे गोबर एकत्रीकरण से लेकर वर्मी कम्पोस्ट खाद्य तैयार होने तक की प्रकयाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली।

उल्लेखनीय है की समूह द्वारा 800 रूपये प्रति घनमीटर की दर से गोबर क्रय किया जाता है। जिसका उपयोग वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने में किया जाता है। इसके अलावा समूह द्वारा स्पान एवं मशरूम उत्पादन का भी उन्होने अवलोकन किया। इसके पश्चात कृषि उत्पादन आयुक्त ने समीप के ग्राम गोड़बहाल में संचालित दुग्ध सहकारी समिति का अवलोकन किया। समिति के अध्यक्ष श्री सादराम पटेल ने उन्हे बताया कि इस केन्द्र में आस-पास के 05 समितियों के 3 हजार 250 लीटर दूध प्रतिदिन संग्रहण किया जाता है।


वर्तमान में दो हजार लीटर क्षमता का दुग्ध शीतक केन्द्र है। जिला खनिज निधि से 10 लाख रुपये एवं दुग्ध सहकारी समिति से 2 लाख कुल राशि 12 लाख की लागत से 5 हजार लीटर क्षमता का नया दुग्ध शीतक केन्द्र खरीदा गया है। इस अवसर पर संचालक कृषि  श्री निलेश महादेव क्षीरसागर, संचालक पशु चिकित्सा सेवायें श्री माथेश्वरण व्ही., अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री के.एम.यूआरएल उर्गन, कलेक्टर कार्तिकेया गोयल, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत डाॅ. रवि मित्तल, वनमण्डलाधिकारी मयंक पाण्डे, वनमण्लाधिकारी बलौदाबाजार आलोक तिवारी, अपर संचालक पशु चिकित्सा सेवायें डाॅ. के.के.ध्रुव, डाॅ मौसम मेहरा, उप संचालक कृषि चिरंजीव सरकार, उप संचालक पशु चिकित्सा सेवायें डाॅ. धरमदास झारिया एवं अन्य कर्मचारी अधिकारी उपस्थित थे।

गौरतलब है कि छ.ग. शासन द्वारा पशुओं की सुरक्षा और पशुपालकों को रोजगार के साथ उनकी आमदनी को बढ़ाने में सहायता करने के लिए गोधन न्याय योजना का शुभारंभ राज्य में मनाया जाने वाला प्रमुख कृषि पर्व हरेली के दिन से किया जा रहा है।


इस योजना का उद्देश्य स्वच्छंद विचरण करने वाले पशुओं पर नियंत्रण, पशुओं की सुरक्षा करना तथा पशुपालन के प्रति घटती रूचि को बढ़ाना है। इस योजना के तहत शासन पशुपालको से गोबर खरीदेगा जिसका उपयोग वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने में किया जायेगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, प्रदेश जैविक खेती की ओर बढ़ेगा। फसलों की गुणवत्ता, पोषण एवं जनस्वास्थ्य के स्तर में सुधार होगा। गोबर प्रबंधन का ग्रामीण तकनीक एवं अनुभव का लाभ गोधन न्याय योजना हेतु लिया जा सके इसी उद्देश्य से कृषि उत्पादन आयुक्त डाॅ. एम.गीता द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में संचालित इन केन्द्रों का भ्रमण किया गया।




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