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मनरेगा विभाग सरायपाली ने दौरे के नाम पर किया लाखो रू के बिल से संदेहास्पद आहरण

सौरभ गोयल/सरायपाली.  मनरेगा में मजदूरो के मजदूरी की बकाया राशि को लेकर आए दिन मजूदर जनपद के दरवाजे तक आ रहे है। गांव-गांव में मजूदरी भुगतान को लेकर आज भी कई शिकायतें मिल सकती है। गांव के मजदूरो को रोजगार मिल सके इसके लिए केन्द्र सरकार ने मजूदरो के जीवन स्तर में बदलाव लाने मनरेगा योजना चलाई। पर ऐसा लगता है कि योजना के जरीए कुछ अफसर अपने जीवन स्तर को बदलने के प्रयास में लगे है। मजूदर महज हफ्ते-दो हफ्ते की रोजी पाने जनपद तक आते है। तो उसी के विभाग के अफसर वाहनो में दौरे के नाम पर लाखो रू का संदेहास्पद बिल आहरण कर रहे है।

मनरेगा कार्यालय में सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार बीते एक वर्ष में करीब सवा लाख रू वाहन किराए पर भुगतान किया जाना बताया जा रहा है। जिसमें महासमुंद, रायपुर जाने के अलावा वाहन को किराए में लेकर सरायपाली के मनरेगा कार्यालय से 5 किमी दूर स्थित ग्राम के दौरे के दर्जनो बिलो का अनियमित भुगतान किया गया है। हैरानी की बात यह है कि सरायपाली के 5 किमी दूरी वाले गांव का किराया सरायपाली से 20 किमी दूर स्थित गांव से ज्यादा है। नजदीकी ग्राम में अधिक राशि का भुगतान और दूर स्थित गांव के दौरे पर कम किराया भुगतान विभाग ने आँख मूंद कर ही कर दिया। मनरेगा कार्यालय में लगे अधिकांश बिल-व्हाउचर में फर्म का जीएसटी नंबर नही है। शासन का लाखो रू खर्च कर शासन को राजस्व के रूप में कौडी नही पंहुचाने वाले ऐसे अफसर शर्म महसूस नही कर रहे होंगे।  

सरायपाली से महासमुंद नंवबर 2019 में 4 बार दिसंबर 2019 में 2 बार तो फरवरी 2020 में 1 बार के दौरे में करीब 23 हजार, सरायपाली से रायपुर सितंबर 2019 में एक बार और दिसंबर 2019 में 3 बार के दौरे का करीब 16 हजार के भुगतान के बिल लगे है। जिनमें महासमुंद दौरे में सात में दो बार टोल भुगतान का उल्लेख है। वह भी एक बार 290 तो दूसरी बार 240 रू का। जबकि रायपुर दौरे में एक बार भी टोल भुगतान का लेख बिल में नही है। इतना ही नही 27/12/2019 को समीक्षा बैठक महासमुंद के लिए 3540 रू और इसी तारिख को रायपुर से सरायपाली के लिए 3894 रू के दो अलग-अलग बिलो का भुगतान हुआ है। तो वहीं सरायपाली के नजदीकी ग्राम केंजुआ में दिसंबर 2019 में करीब 6 बार के दौरे के लिए 9420 रू के 6 अलग-अलग बिल का भुगतान हुआ है। जिनमें प्रत्येक बिल 1570 रू का है। जबकि इसी माह 4 मर्तबे कनकेवा ग्राम के लिए 6490 रू का भुगतान किया गया है।

जिनमें 3 बार का दर 1640 रू और एक बार 1570 रू का उल्लेख है। कनकेवा के दूरी में कमी की संभावना तो है नही पर एक बार का बिल कम कैसे हुआ यह तो अधिकारी ही बता पांएगे। इतनी कम दूरी के लिए वाहन का इतना भुगतान मनरेगा विभाग की उदारता को दिखाता है। अधिकारी अधिक उदार है और उन्हें 6-7 किमी के लिए 1570 रू भुगतान करना जायज लग रहा है बनिष्पत 16-17 किमी दूर छुईपाली ग्राम में दिनांक 25/3/2020 को किए गए 1300 रू के भुगतान से। बिलो में एक विसंगति और देखने को मिली वह भी एक स्थान के दो अलग-अलग बिल में। पहले बिल 13/11/2019 को ग्राम बिरकोल की दूरी 70 किमी दर्शाकर 1990 रू आहरण किया गया तो वहीं 14 अप्रेल 2020 को बिना किमी प्रर्दशित किए 2200 रू का आहरण किया गया। जबकि ग्राम बिरकोल की दूरी सरायपाली से 25 किमी भी नही है।

नियम कायदे ताक पर

मनरेगा विभाग सरायपाली की निजी टूर ट्रेव्हल्स पर नजरे इतनी इनायत रही की एक ही फर्म को एक वर्ष में सवा लाख रू भुगतान किया गया। जिससे सरकार को जीएसटी के रूप में कौडी तक नसीब नही हुई। ट्रेव्हल्स के बिल को दरकिनार किया जाए तो अन्य सामाग्री क्रय करने में भी अधिकांश बिल में जीएसटी फर्म नजर नही आ रही। इन फर्मो के कार्य के पूर्व कोटेशन बुलाया गया या नही इतनी जानकारी भी मनरेगा कार्यालय के कार्यक्रम अधिकारी को नही है। वर्तमान पीओ महेन्द्र यादव से जानकारी लेने पर उन्होनें कोटेशन के बारे में देखकर बताने की बात कही है। अधिक भुगतान को लेकर भी उनका यह जवाब रटारटाया रहा।

मनरेगा कार्यालय के भीतर इन बिलो के भुगतान की फाइले जनपद कार्यालय सरायपाली तक जाती है। जिनमें जनपद कार्यालय के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हस्ताक्षर कर भुगतान की स्वीकृति देते है। ऐसे में जनपद सीईओ द्वारा भी उपरोक्त तथ्यो को अनदेखा कर भुगतान क्यों किया जाता रहा है। यह समझ से परे है। रही बात वाहनो के रायपुर और महासमुंद दौरे के भुगतान की तो सरायपाली से रायपुर पंहुचने तक रास्ते में पड़ने वाले 3 टोल में वाहनो के गंतव्य की पुष्टि को लेकर पड़ताल बेहतर तरीके से की जा सकती है। 





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