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मां की तरह हिरण के बच्चे को बोतल से दूध पिलाकर किया बड़ा, पेश की अनूठी मिसाल

राजस्थान के जैसलमेर के लाठी क्षेत्र के केरालिया गांव निवासी एक मुस्लिम परिवार ने एक अनूठी मिसाल पेश की है। केरालिया गांव निवासी नूरे खान की पत्नी माया ने हिरण के बच्चे को 7 महीने तक गाय का दूध पिला कर अपने बच्चे की तरह लालन पोषण कर जिंदा रखा। और उसे ' डॉन' का नाम दिया। अब 7 महीने बाद जब उसने वन विभाग को सौंपा, तो उसका दिल भर आया। दरअसल केरालिया गांव के पास करीब सात माह पहले एक मादा हिरण ने एक बच्चे को जन्म दिया था। जन्म देने के कुछ दिन बाद मादा हिरण को आवारा श्वानों ने हमला कर मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद माया नामक मुस्लिम महिला ने हिरण के बच्चे को बचाने के लिए अपने घर पर लेकर आई। हिरण के बच्चे को अपने बच्चे की तरह पालन पोषण कर गाय का दूध पिलाना शुरू किया। अब हिरण का बच्चा अब सात माह का हो चुका हैं। अब तंदुरूस्त होकर चहल कदमी करने लगा है। लिहाजा अब उसे वन विभाग को सौंप दिया है।

परिवार से घुल -मिल गया डॉन

मिली जानकारी के अनुसार माया के परिवार ने हिरण बच्चे को "डॉन" नाम भी दिया है। समय-समय पर दूध-पानी देने वाले परिवारजनों से हिरण के बच्चे को इतना लगाव हो गया है कि पूरे दिन वह परिवार के इर्द-गिर्द ही रहने लगे है। थोड़ा दूर चले जाने पर जैसे ही मौजूद परिवार उनके नाम से पुकारते हैं तो वह दौड़ते हुए उनके पास आ जाते है। यह किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं है। इंसान और जानवरों के बीच पारिवारिक रिश्ते की यह बात इसलिए भी खास है कि वन्य प्राणियों में हिरण एक ऐसा जानवर है जो इंसानों के पास आना तो दूर, आहट सुनते ही भाग जाता है। लेकिन जन्म के करीब एक 5 दिन बाद से ही हिरण के बच्चे से उसकी मां बिछड़ गई। शायद इसके बाद मुस्लिम महिला माया के रूप में मिला प्यार की डॉन को उनकी ओर खींच लाता है।

वन्यजीव प्रेमियों के सामने किया ' सुपुर्द '

नूरेखान की पत्नी माया ने बताया कि उसने मादा हिरण के बच्चे को अपने बच्चे की तरह बोतल से दूध पिला-पिलाकर जिंदा रखा । अब वह तंदुरूस्त होकर चहल-कदमी करने लगा है। करीब सात माह की उम्र वाले हिरण के बच्चे माया के परिवार वालों से इतना घुल-मिल गये कि उन्हें वो अपने परिवार के सदस्य मानने लगे है। माया ने कहना है कि हिरण का बच्चा इतना चंचल है कि कुछ ही दिनों में वे फैमिलियर हो गया और उसका डर खत्म हो गया। परिवार का कहना है कि आवारा कुत्तों के हमले होने का डर सताता रहता है लिहाजा इसको देखते हुए वनविभाग कर्मियों को सूचित कर दिया है। वन्य जीव प्रेमी राधेश्याम पेमाणी,धर्मेंद्र पवार,सुरेश जाट,महेन्द्र खां,अलशेर खां की मौजूदगी में हिरण के बच्चे को वन विभाग कर्मियों को सुपुर्द किया गया है।




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