news-details

संपत के कार्यक्रम में जुट रही हजारों की भीड़, बीजेपी के लिए अवसर या चुनौती !

भारतीय जनता पार्टी से 6 वर्षों के लिए निष्काषित नीलांचल सेवा समिति संस्थापक संपत अग्रवाल इन दिनों एक बार फिर लोगों के बीच पहुँच रहे हैं. जहाँ हजारों लोग उनका स्वागत कर रहे हैं. ये भीड़ बिलकुल वैसे ही दिखाई देने लगी है जैसे विगत विधानसभा चुनाव में संपत अग्रवाल के साथ निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद हुआ करती थी.

क्षेत्र के कई राजनेताओ का मानना था कि विधानसभा चुनाव के एक बार हारने के बाद संपत दुबारा कभी राजनीती में नजर नहीं आयेंगे. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं. निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद क्षेत्र के 50 हजार से भी अधिक लोगों ने संपत अग्रवाल पर भरोषा किया और अपना वोट उन्हें दिया. 50 हजार  से अधिक वोट पाने के बाद संपत अग्रवाल हारकर भी इसे अपनी हार नही जीत मानने लगे और निरंतर जनसेवा करते रहे.

उनका और नीलांचल सेवा समिति का मुख्य उद्देश्य नर सेवा नारायण सेवा रहा है. समिति क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा, खेलकूद को बढ़ावा देना है गरीब जनता की समस्याओं को समाधान करना जैसे हर संभव प्रयास करती है. समिति के इसी निरंतर प्रयास को देखते हुए लगातार लोग समिति से जुड़ रहे हैं. और अब नीलांचल सेवा समिति के क्षेत्र में लगभग 11 कार्यालय खुल चुके हैं.


निश्चित ही वर्त्तमान में संपत अग्रवाल का यह बढ़ता हुआ कद बीजेपी के लिए चुनौती है लेकिन बीजेपी चाहे तो इसे अवसर में भी बदल सकती है. क्षेत्रवासी और बीजेपी के कई कार्यकर्ता संपत और बीजेपी की विचारधारा को लगभग एक जैसा बताते है. यहाँ तक कि कई कार्यकर्ता खुलकर संपत का समर्थन करते आये हैं. जिन्हें लगता है कि संपत की बीजेपी में वापसी तय है.

लेकिन सूत्रों की माने तो संपत की वापसी से जिले में बीजेपी के कुछ शीर्ष नेताओं और पदाधिकारियों को परेशानी हो सकती है. जिसके चलते पार्टी कोई फैसला नहीं ले पा रही है, वहीँ बीजेपी कार्यकर्ता भी नीलांचल और बीजेपी दोनों के कार्यक्रमों में दिखाई देते हैं. और खुलकर संपत अग्रवाल का समर्थन भी करते हैं जिसके बावजूद ऐसे कार्यकर्ताओं पर कोई कार्रवाई नहीं होती.

हालाकि नीलांचल सेवा समिति एक गैर राजनितिक संस्था है लेकिन समिति से संस्थापक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव भी लड़ चुके है, उसके बावजूद भी बीजेपी कार्यकर्ता अगर नीलांचल के कार्यक्रम में पहुँच रहे हैं और उनपर किसी तरह की कारवाई नहीं हो रही है, तो निश्चित की पार्टी चुनौती के बीच किसी तरह का अवसर भी खोज रही है.




अन्य सम्बंधित खबरें