महासमुंद: सफलता की कहानी: घोटियापानी पंचायत गठन के बाद भवन बनने से कामकाज शुरू
घोटिया पानी राजस्व गांव में लगभग 1029 की जनसंख्या है, जो पहले टेका ग्राम पंचायत से जुडे़ हुए थे। यहां के निवासियों को पहले अपने काम के लिये पंचायत भवन टेका जाने के कुछ लम्बा रास्ता तय करना पड़ता था। राज्य शासन के हितग्राही मूलक एवं जन कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित कामों या अन्य कार्य से टेका ग्राम पंचायत आना-जाना पड़ता था। यहां के लोग खेती बाड़ी और मजदूरी आदि काम छोड़ पूरा दिन इन्हीं कामों के लिए देना होता था।
राज्य सरकार ने यहां के ग्रामीणों की लम्बे समय से चल
रही राजस्व गांव की मांग को स्वीकार कर नई पंचायत का गठन कर दिया। पंचायत गठन के
बाद पंचायत के संसाधनों का निर्माण सबसे बड़ी चुनौती थी। नवीन गठित पंचायत का अपना
भवन नहीं होने से विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए कार्य संपादन में अनेक
समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। कार्मिकों को छोटे स कमरे में समस्त प्रभागों
के कार्याें का संपादन, दस्तावेजों का उचित संधारण एवं अन्य राजकीय कार्याें
को करने में बड़ी कठिनाई आ रही थी। ग्राम सभा में ग्रामीणों के लिये बैठने के लिये
पर्याप्त और उपयुक्त जगह-स्थान उपलब्ध नहीं होने कारण कठिनाईयां महसूस हो रही थी।
ग्रामीण विकास एवं पंचायत
विभाग की योजनाओं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, 15वे वित्त अन्तर्गत
कन्वर्जेंसन के तहत 14.42 लाख की स्वीकृति ने ग्रामवासियों के सपने को
साकार किया। घोटिया पानी पंचायत में एक राजस्व गांव है, घोटिया पानी में पंचायत
भवन का निर्माण करने के लिये भूमि का निर्धारण करना बड़ी चुनौती था। ग्रामीणों ने
आपसी रजामंदी से गांव के मध्य में भूमिका का चयन किया। मनरेगा व 15वे वित्त योजना से कन्वर्जेन्स
कर ग्राम पंचायत के लिये नवीन पंचायत भवन की स्वीकृति जारी की गई। ग्रामीणों ने भी
श्रमदान कर 732 मानव दिवस सृजित करते हुए मनरेगा, 15 वे वित्त योजनान्तर्गत
ग्राम पंचायत के नवीन भवन को तैयार कर दिया।
अब इस नवीन पंचायत भवन
बनने से एक छत के नीचे ग्राम पंचायत स्तर के कर्मचारी कार्यालयीन समय पर नियमित
उपस्थित होकर यहां के स्थानीय लोगों के कामकाज का निपटारा करते है। इसके साथ ही
राज्य शासन की विभिन्न हितग्राही मूलक और जन कल्याणकारी योजनाओं के फायदे के बारे
में यहां के निवासियों को बताते हैं। इसके साथ ही इस भवन में सभागार होने से ग्राम
सभा संपादन करने में भी राहत मिली है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की
समस्त योजनाओं के साथ ई-मित्र, सचिव एवं कार्मिक की उपस्थिति रहने से ग्रामीणों को
दोहरा फायदा हो रहा है।