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बसना : शासकीय पट्टे पर प्राप्त जमीन व संस्था की जमीन पर लग रहे बंदर बांट के आरोपों के बाद अधिवेशन के चुनाव में नहीं जीत पाए किशोर बाघ, क्या अब होगी संस्था के जमीन के खरीदी बिक्री की जाँच.

सरायपाली के मेनोनाइट चर्च को  शासकीय पट्टे पर प्राप्त जमीन व संस्था की जमीन पर लग रहे बंदर बांट के आरोपों के बाद अधिवेशन के चुनाव में किशोर बाघ अपनी जीत नहीं दर्ज कर पाए.

भारतीय जनरल कॉन्फ्रेंस मेनोनाइट कलीसिया (चर्च) एक 100 वर्ष पुरानी पंजीकृत मसीही संस्था है जो सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ व पश्चिम उड़िसा में 29 घटक मण्डलियों के रूप में स्थापित होकर संचालित हो रही है. पूर्व में इस संस्था के डीकन प्रेम किशोर बाघ चेयरमेन (अध्यक्ष) रहे हैं,  जिन्होंने विगत 30 वर्षों से इस संस्था में विभिन्न पदों में रहकर अपना कार्य किया है.

आपको बता दें कि विगत 4 जून को एक वेब पोर्टल आई.डी.पी. 24 न्यूज में तत्कालीन मेनोनाइट चर्च के अध्यक्ष प्रेम किशोर बाघ पर शासकीय पट्टे पर प्राप्त जमीन व संस्था की जमीन को बंदर बांट कर अपनी जेब भरने का आरोप लगा था. जिसमे उच्च अधिकारीयों के भी संलिप्तता की बात कही गई थी.

इस आरोपों के बाद किशोर बाघ ने इसका खंडन करते हुए प्रकाशित समाचार के विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही अथवा मानहानि करने की बात कही थी. किशोर बाघ का आरोप था कि संस्था के वार्षिक अधिवेशन में पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी के चुनाव के चलते  जानबुझकर इस प्रकार का कृत्य करके छबी को धुमिल कर बदनाम किया जा रहा है ताकी अधिवेशन में चुनाव पूर्ण उनके प्रभाव को कम किया जा सके.

इस खंडन के बाद किशोर बाघ अधिवेशन के चुनाव में अध्यक्ष नहीं चुने गए, लेकिन अध्यक्ष बनने किशोर बाघ ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. हलाकि किशोर बाघ अब संस्था के सचिव हैं, ऐसे में अब सवाल है कि क्या संस्था के लोग वेब पोर्टल आई.डी.पी. 24 न्यूज के आरोपों को सही मान रहे हैं ? अगर ऐसा है तो क्या अब  संस्था के जमीन के खरीदी बिक्री की जाँच होगी ? या फिर अध्यक्ष बदलने के बाद मामले में सौदा कर इसे रफा दफा कर दिया जायेगा.

4 जून को वेब पोर्टल आई.डी.पी. 24 न्यूज में प्रकाशित खबर में जिस जगह की फोटो लगाई गई थी, वह तस्वीर बसना के डॉ. बेहरा कॉम्प्लेक्स की है. जिस जमीन का भाव वर्त्तमान में करोड़ो में है.

वेब पोर्टल आई.डी.पी. 24 न्यूज ने  सूत्रों के हवाले से खबर प्रकाशित की थी कि मेनोनाइट चर्च के उच्च अधिकारियों को भी इस बेचे गए जमीन से मिले मुनाफे का आधा हिस्सा जाता है. यही कारण है कि लगातार शासकीय जमीनों को अध्यक्ष बिना किसी डर के दना दन अपनी मनमानी करते हुए बेचे जा रहे हैं.  प्रकाशित खबर  के अनुसार अध्यक्ष स्वयं यह बात कहते नजर आते हैं कि इस जमीन का आधा हिस्सा उच्चाधिकारियों तक पहुंच रहा है.

इन आरोपों के बाद ऐसे में अब यह सवाल है कि क्या अब इस जमीन के खरीदी बिक्री की जाँच की जाएगी.




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