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17 साल की उम्र में टीबी को हराया, अब लोगों को कर रही जागरूक

टीबी चैंपियन के रूप में रेवती, सक्रिय टीबी मरीजों की कर रही मदद

टीबी की बीमारी में नियमित दवा लेना बेहद जरूरी

नारायणपुर : वर्ष 2025 तक देश को क्षय उन्मूलन की दिशा में लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में बखरूपारा निवासी 20 वर्षीय रेवती मण्डावी, जिले में क्षय रोग के प्रति जागरूकता लाने और भ्रांतियों को दूर करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। 2 वर्ष पहले क्षय रोग यानि टीबी को हरा चुकीं रेवती अब टीबी मरीजों की पहचान कर उन मरीजों के घर जाकर उनकी फॉलो अप कर रही, साथ ही टीबी से ग्रसित मरीजों को अपनी खुराक लेने के लिये प्रेरित कर उनके स्वास्थ्य में सुधार लाने का प्रयास भी कर रही हैं।

रेवती मण्डावी बताती हैं: " मैं 17 साल की उम्र में टीबी की चपेट में आयी थीं। हल्का बुखार, खांसी आना और वजन घटना, गले मे गाँठ होना इत्यादि लक्षण मुझमें थे। तकलीफ बढ़ने के बाद मैंने नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर अपनी जाँच करवाई, जहां जांच में टीबी की पुष्टि हुई। इसके बाद मैंने नियमित रूप से, पोषण युक्त खानपान और स्वास्थ्य केंद्र से प्राप्त दवा का सेवन लगातार करने के बाद टीबी को मात दी। शुरूआती लक्षण आने पर और समय से जांच व इलाज शुरू हो जाने से कुछ ही दिनों में लक्षण कम होने शुरू हो गये थे लेकिन चिकित्सक की सलाह पर मैंने छः महीने तक दवा जारी रखी। अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूँ और टीबी चैंपियन के रूप में सक्रिय टीबी मरीजों की मदद भी कर रहीं हूँ।“

उन्होंने आगे बताया: " वर्तमान में मैं स्नातक की पढ़ाई कर रही हूँ । और समय- समय पर स्वास्थ्य कर्मियों के साथ घर-घर जाकर टीबी के लक्षण वाले मरीजों की पहचान करते हुए उन्हें जागरूक भी कर रही हूँ । मुझे अपने अनुभव के कारण टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग व काउंसलिंग करने में काफी सहायता होती है। लोगों का भी सकारात्मक व्यवहार अब देखने को मिल रहा है। टीबी चैंपियन बनकर टीबी मरीजों की मदद करना मुझे अच्छा लगता है। सर्वे के दौरान कुछ लोगों में टीबी ठीक नही होने की मुख्य वजह जानकारी का अभाव और मरीजों द्वारा नियमित रूप से दवा लेने में लापरवाही बरतना है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले अधिकतर लोग बीड़ी, तंबाकू के सेवन के कारण इस बीमारी की चपेट में आ जाते है। जानकारी के अभाव में समय पर बीमारी की पहचान नहीं होती। यदि बीमारी का समय पर पता चल भी जाए तो उपचार कराने में गम्भीरता नहीं बरतते। जिसकी वजह से समस्या बढ़ने लगती है। मेरे इलाज के दौरान डॉक्टरों ने बताया था कि टीबी की बीमारी में नियमित दवा लेना बेहद जरूरी होता है। टीबी का लक्षण दिखने पर बिना भयभीत हुए बिना सरकारी अस्पताल में निःशुल्क जांच करवाएं। नियमित दवा लें और पौष्टिक आहार का सेवन करें। इससे टीबी का इलाज संभव है।"

संक्रामक है टीबी की बीमारी
टीबी एक संक्रामक बीमारी है। जो बैक्टीरिया के कारण फैलता है। इसे तपेदिक या ट्यूबरक्लोसिस भी कहा जाता है। टीबी रोग से पीड़ित व्यक्ति के खाँसने या छीकने से, टीबी के कीटाणु श्वसन के द्वारा स्वस्थ व्यक्ति के शरीर मे प्रवेश करके उसे संक्रमित करता है। यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है। सबसे प्रमुख फेफड़ों की टीबी ही है लेकिन यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है ।

लक्षण दिखे तो कराएं जांच
लगातार दो हफ्ते से खांसी आए, बलगम में खून आए, रात में बुखार के साथ पसीना आए, तेजी से वजन घट रहा हो, भूख न लगे तो नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर टीबी जांच निःशुल्क करवा सकते हैं। अगर जांच में टीबी की पुष्टि हो तो पूरी तरह ठीक होने तक इलाज जरूरी है।




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