महासमुंद : नेशनल लोक अदालत में 1318 लंबित मामलों का निराकरण एवं 6,13,65,000 रूपये की वसूली
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, महासमुंद, (छ0ग0) के सचिव, दामोदर प्रसाद चन्द्रा द्वारा जानकारी दी गई कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण महासमुंद के अध्यक्ष एवं जिला न्यायाधीश, भीष्म प्रसाद पाण्डेय, के कुशल मार्गदर्शन एवं नेतृत्व के अधीन दिनांक- 12.11.2022 दिन शनिवार को जिला न्यायालय महासमुंद एवं तहसील पिथौरा, सरायपाली, बसना स्थित सिविल न्यायालयों एवं राजस्व न्यायालयों में कुल 22 खण्डपीठांे का गठन कर नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।
नेशनल लोक अदालत की उक्त सभी खण्डपीठों में श्रमिक विवाद, बैंक रिकवरी प्रकरण, विद्युत एवं देयकांे के अवशेष बकाया की वसूली और राजीनामा योग्य अन्य मामले के बकाया की वसूली संबंधी प्री-लिटिगेशन मामले सुनवाई हेतु रखे गये थे। उक्त मामलों के अलावा राजीनामा योग्य दांडिक प्रकरण, परक्राम्य लिखत अधि0 की धारा-138 के अधीन परिवाद पर संस्थित मामले, मोटर दुर्घटना दावा संबंधी मामले तथा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-135 (क) के तहत विद्युत चोरी के मामले, सिविल मामले भी नियत किये गये थे।
उक्त खण्डपीठों मंे उपरोक्त सभी मामलों की सुनवाई करते हुए जिला महासमुंद स्थित विभिन्न न्यायालयों में कुल प्री-लिटिगेशन के 11974 प्रकरणों में सुनवाई पश्चात् सुलह एवं समझौता के आधार पर कुल 6937 प्रकरणों का तथा न्यायालयों में लंबित सिविल वाद, दांडिक मामलांे, मोटर दुर्घटना दावा इत्यादि के कुल 2031 मामलों में सुनवाई पश्चात् सुलह एवं समझौता के आधार पर 1318 मामलों का निराकरण किया गया और उनमें रूपये 6,13,65,000/- की राशि राजीनामा के आधार पर वसूल की गई। नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन में महासममुंद अधिवक्तागण एवं न्यायालय के कर्मचारियों का अभूतपूर्व सहयोग प्राप्त हुआ।
सफल कहानी - पांच वर्ष से अलग रह रहे दंम्पति आपस मिले
तुमगाँव क्षेत्र के अंतर्गत में रहने वाला रमेश (परिवर्तित नाम) एवं सुशीला (परिवर्तित नाम) के मामले में सुशीला और रमेश पति-पत्नी है, जिनकी शादी वर्ष 2007 में हुई थी। जिनमें विगत पांच वर्षों से अनबन चल रही थी। पूर्व पेशियों में न्यायालय द्वारा उन्हें राजीनामा हेतु समझाईश दी जा रही थी, परन्तु उनमें कोई सहमति बनते दिखाई नहीं दे रही थी, किन्तु आज दिनांक-12.11.2022 को नेशनल लोक अदालत के अवसर पर उन्हें विशेष रूप से कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रामजीवन देवांगन द्वारा समझाईश दिए जाने पर उनके द्वारा प्रकरण में आपसी सहमति से राजीनामा किया गया। इस तरह पांच वर्षाें से लंबित प्रकरण में लोक अदालत के माध्यम से समझाईश के आधार पर सुलझ गया।