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लोकसभा में हसदेव अरण्य मामले की उठी गूंज, वन विभाग ने 50 लाख से अधिक वृक्षारोपण की दी जानकारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में पर्यावरण क्षरण के संबंध में लोकसभा प्रश्न के उत्तर में प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में वन महानिरीक्षक (वन्यजीव प्रभाग) को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की है। जिसमें साल 2023 तक, "परसा ईस्ट केते बासेन" कोयला खदान में खनन के लिए प्रतिपूरक उपायों के रूप में, वनीकरण, खदान सुधार और स्थानांतरण प्रयासों के लिए कुल 53,40,586 पेड़ लगाए गए हैं। इन नए लगाए गए पेड़ों में से लगभग 40,97,395 जीवित पेड़ हैं, वहीं खनन के लिए 94,460 पेड़ों का विदोहन किया गया है। बता दें कि, छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में हसदेव अरण्य 1,70,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है, और देश की राजधानी दिल्ली से भी बड़ा है।


भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट, सरकार नहीं लगा रही खनन सम्बन्धी गतिविधियों पर पूर्ण रोक

वहीं, सदन में आम आदमी पार्टी के पंजाब सांसद श्री संदीप कुमार पाठक द्वारा उठाए गए प्रश्न में हसदेव अरण्य में पर्यावरणीय प्रभाव के कई पहलुओं पर जानकारी मांगी गई थी। जिसके जवाब में भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा लिखित में जवाब प्रस्तुत किया हैं। जिसमें बताया गया कि, हसदेव अरण्य कोयला क्षेत्रों पर अलग से कोई अध्ययन नहीं किया गया हैं। हालांकि, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) के निर्देशों के बाद, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के साथ मिलकर जैव विविधता मूल्यांकन का अध्ययन किया, और सरकार को रिपोर्ट सौंपी गई। बता दें कि, इस रिपोर्ट में खनन गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सिफारिश नहीं की गई हैं।

खनन सम्बन्धी कार्यों के लिए और काटे जायेंगे और भी पेड़

वहीं इस क्षेत्र में चल रही खनन गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए आने वाले कई वर्षों में अनुमानित 2,73,757 पेड़ों का विदोहन किये जाने की उम्मीद है। इस जानकारी का उद्देश्य पर्यावरण संबंधी चिंताओं तथा हसदेव अरण्य में शमन और पुनरुद्धार की दिशा में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालना है। उल्लेखनीय यह है कि, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम (आरआरवीयूएनएल) अपने बिजली उत्पादन संयंत्रों की कोयले की मांगों को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में तीन उपयुक्त कोयला खदानों का मालिक है। वहीं,आरआरवीयूएनएल पहले से ही परसा ईस्ट कांता बासन ब्लॉक का संचालन कर रहा है, और औद्योगीकरण और नौकरियों से वंचित इस जिले में करीब 10,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। साथ ही राजस्थान सरकार का निगम छत्तीसगढ़ सरकार को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर, रॉयल्टी और अन्य शुल्क भी देता है। आरआरवीयूएनएल द्वारा अपने दो अन्य परसा और केते एक्सटेंशन ब्लॉकों का संचालन शुरू करने के बाद यह संख्या दोगुनी होने की संभावना है। लगातार चार वर्षों से कोयला मंत्रालय से पांच सितारा रेटिंग के साथ, पीईकेबी ब्लॉक न केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि भारत में एक मॉडल खदान के रूप में उभरा है। इसके साथ ही अंग्रेजी माध्यम सीबीएसई स्कूल, अदाणी विद्या मंदिर ने भी एक अनूठा मॉडल विकसित किया है। जहां छात्रों की माताएं 1,000 से अधिक छात्रों के लिए नाश्ता और दोपहर का भोजन बनाती हैं, और उन्हें मुफ्त शिक्षा, परिवहन, स्टेशनरी, यूनिफॉर्म जैसी और कई अन्य सुविधाएं प्रदान कराई जाती हैं।






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