बसना : गंभीर रूप से घायल मरीज का वाहन अस्पताल के दरवाजे तक समय पर नही पहुँच पाने के कारण तोड़ा दम, नहीं है पार्किंग की कोई व्यवस्था.
सांकरा थाना क्षेत्र के ग्राम सावित्रिपुर में आज एक दुखद हादसा हो गया, खेत में जुताई कर रहे एक ट्रेक्टर के फँस जाने से उसे निकालने पहुंचा किसान, ट्रेक्टर को निकालते समय ट्रेक्टर के पलट जाने से उसके नीचे आकर दब गया और परिजनों के साथ अंत्यंत ही दुखद स्थित में अस्पताल के परिसर में वाहन के नहीं पहुँचने से उसने दम तोड़ दिया.
मिली जानकारी के अनुसार आज दोपहर सांकरा थाना क्षेत्र के ग्राम सावित्रिपुर में एक ट्रेक्टर क्रमांक CG 06 GP 8278 खेत में जुताई करने के दौरान फँस गया था, जिसको निकालने हेतु ट्रेक्टर मालिक ने विजय कोसरिया उम्र 35 वर्ष से मदद मांगकर उसे निकालने कहा, जिसपर विजय कोसरिया ने पहले ट्रेक्टर निकालने से मना कर दिया लेकिन फिर से ट्रेक्टर मालिक द्वारा ट्रेक्टर को स्टार्ट करके देख लो कहे जाने पर विजय ट्रेक्टर में बैठकर जब उसे स्टार्ट किया तो उसी दौरान ट्रेक्टर पलट गया और विजय उसमे दबकर गंभीर रूप से घायल हो गया.
इसके बाद किसी तरह विजय को वहां से निकालकर ईलाज हेतु निजी वाहन से शासकीय अस्पताल बसना लाया गया, और वहां अस्पताल परिसर में वाहन का अस्त-व्यस्त जमावड़ा होने के कारण चार पहिया वाहन अस्पताल के अन्दर नही पहुँच पाया, जिसके चलते परिजनों को रोते बिलखते देखा गया. अस्पताल परिसर में ना केवल वाहन बल्कि अस्पताल के अन्दर से वाहन तक स्टैचर को लाने में भी स्वास्थकर्मी को परिशानियों का सामना करना पड़ रहा था. जहाँ मुश्किल से स्टैचर को सिर में उठाकर वहान तक ले गए.
सड़क से अस्पताल की दूरी 200 मीटर से भी कम है. लेकिन इस मार्ग में बस स्टैंड, नगर पंचायत, होटल सहित रेस्ट हाउस है. जहाँ पर पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण मोटरसायकल सहित चारपहिया वाहन सडकों पर ही वाहन खड़े कर देते हैं.
बसना में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अब तक वाहनों के रखने की उचित व्यवस्था नही हो पाई है, अस्पताल पहुँचने वाले लोग वाहनों को यहाँ-वहां रख देते हैं जिसके चलते अस्पताल के दरवाजे से पुरे परिसर में वाहनों का जमावड़ा हो जाता है, बच्चों के टीकाकरण से लेकर कई उपचार हेतु यहाँ मरीज पहुँचते हैं. इसके अलावा आपातकाल की स्थिति में भी मरीजों के अस्पताल पहुंचने का रास्ता यही है. प्रशासन की ओर पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं होने से, आपातकाल में पहुँचने वाले मरीजों का वाहन अस्पताल के अन्दर नहीं पहुँचने से उनके परिजन मदद की गुहार लगाते हैं. इतनी गंभीर समस्या होने के बावजूद जनप्रतिनिधियों द्वारा इस तरह की समस्या को नजरअंदाज करना कितना कहाँ तक उचित है ? क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं होनी चाहिए ? आखिर क्यों प्रशासन बेबस है ? जबकि देखा गया है कि विगत दिनों प्रशासन ने बड़ी सख्ती दिखाते हुए तालाब पर से अतिक्रमण हटाया था, क्या आपातकाल में पहुँचने वाले मरीज की कीमत कुछ भी नहीं......