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कैबिनेट ने ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ को जारी रखने की मंजूरी दी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजनाएं जारी रखने की मंजूरी दे दी है। इस पर 15वें वित्त आयोग के दौरान 2025-26 तक 35,000 करोड़ रुपये कुल वित्तीय व्यय होगा। पीएम-आशा न केवल किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करने में मदद करेगा, बल्कि आवश्यक वस्तुओं की मूल्य अस्थिरता को भी नियंत्रित करेगा।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी दी। सरकार ने किसानों और उपभोक्ताओं को अधिक कुशलता से सेवा मुहैया करने के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) योजनाओं को पीएम आशा में एकीकृत किया है। पीएम-आशा की एकीकृत योजना कार्यान्वयन में अधिक प्रभावशीलता लाएगी, जो न केवल किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करने में मदद करेगी बल्कि उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करके मूल्य अस्थिरता को भी नियंत्रित करेगी। पीएम-आशा में अब मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ), मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीओपीएस) और बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के घटक होंगे।

सरकार ने किसानों से एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद के लिए मौजूदा सरकारी गारंटी को नवीनीकृत और बढ़ाकर 45,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इससे कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) द्वारा किसानों से एमएसपी पर दलहन, तिलहन और खोपरा की अधिक खरीद करने में मदद मिलेगी, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) के ई-समृद्धि पोर्टल और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पहले से पंजीकृत किसान भी शामिल हैं । इससे किसान देश में इन फसलों की अधिक खेती करने के लिए प्रेरित होंगे और इन फसलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने में योगदान देंगे, जिससे घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी।

अधिसूचित तिलहनों के लिए एक विकल्प के रूप में मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीडीपीएस) के कार्यान्वयन के लिए राज्यों को आगे आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, कवरेज को राज्य तिलहन उत्पादन के मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है और किसानों के लाभ के लिए कार्यान्वयन अवधि को 3 महीने से बढ़ाकर 4 महीने कर दिया गया है। एमएसपी और बिक्री व मॉडल मूल्य के बीच अंतर का मुआवजा केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा जो एमएसपी के 15 प्रतिशत तक सीमित है।

बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के कार्यान्वयन में बदलाव के साथ विस्तार से जल्दी खराब होने वाली बागवानी फसलों को उगाने वाले किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेगा। सरकार ने कवरेज को उत्पादन के 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है और एमआईएस के तहत भौतिक खरीद के बजाय किसानों के खाते में सीधे अंतर भुगतान करने का एक नया विकल्प जोड़ा है। इसके अलावा, टीओपी (टमाटर, प्याज और आलू) फसलों के मामले में, शीर्ष कटाई के समय उत्पादक राज्यों और उपभोक्ता राज्यों के बीच टीओपी फसलों की कीमत के अंतर को पाटने के लिए, सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए परिवहन और भंडारण व्यय को वहन करने का निर्णय लिया है, जिससे न केवल किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होगा बल्कि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए टीओपी फसलों की कीमतों में भी कमी आएगी।




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