
स्वतंत्रता के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई,वंचितों को नहीं मिला श्रेय - उपराष्ट्रपति
शिक्षण संस्थानों को चरित्र निर्माण की धुरी बनना होगा - उपराष्ट्रपति
प्राचीन काल से ही भारत में शिक्षा को महत्ता दी गई है, व्यावसायीकरण से प्रेरित नहीं होनी चाहिए शिक्षा – उपराष्ट्रपति
राष्ट्रीय शिक्षा नीति: शिक्षा प्रणाली को बदलने के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप – उपराष्ट्रपति
देश में प्रौद्योगिकी ने अत्यंत पारदर्शी, जवाबदेह शासन को सुनिश्चित किया है- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने अलीगढ़ के राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में स्थित राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि “दुर्भाग्य है कि स्वाधीनता कि लड़ाई में योगदान देने वाले महान नायकों की प्रेरक कहानियों का हमारी पाठ्यपुस्तकों में अब तक कोई उल्लेख नहीं है। यह दर्दनाक है कि स्वतंत्रता के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई और वंचितों को इसका श्रेय नहीं दिया गया।”
उन्होंने आगे कहा कि युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम के वास्तविक नायकों के बारे में जागरूक करना हमारा परम कर्तव्य है। “यह सुखद है कि हाल के दिनों में हम पूरे देश में अपने गुमनाम नायकों या सुप्रसिद्ध नायकों का जोरदार जश्न मना रहे हैं। इतिहासकारों की अगली पीढ़ी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान ने इस पीढ़ी को प्रेरित किया।”
धनखड़ ने अपने सम्बोधन में व्यक्त किया कि “सभ्यताएँ और संस्थाएँ अपने नायकों से जीवित रहती हैं। राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्वतंत्रता संग्राम के एक नायक थे, जिन्हें हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में जगह दी जानी चाहिए थी। उनके जैसे नायकों के बलिदान के कारण ही आज हम एक स्वतंत्र वातावरण में जी पा रहे हैं।” स्वातंत्र्य समर में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि 1915 में सिंह ने काबुल में भारत की पहली आस्थायी सरकार की स्थापना की थी जो स्वतंत्रता उद्घोष करने का एक बहुत बढ़िया विचार था।
अपने सम्बोधन में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर और भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को याद करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि “हमें अपने नायकों को पहचानने में इतना समय क्यों लगा? डॉ अंबेडकर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से देर से दिया गया। 1990 में डॉ अंबेडकर, 2023 में चौधरी चरण सिंह और कर्पूरी ठाकुर जी को सम्मानित किया गया।”