सस्ती लागत पर अपना स्वयं का एआई मॉडल लॉन्च करने पूरी तरह तैयार है भारत
भारत सस्ती लागत पर अपना स्वयं का सुरक्षित और संरक्षित स्वदेशी एआई मॉडल लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, रेलवे, सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज नई दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक्स निकेतन में इसकी घोषणा की। मीडिया से बातचीत करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय एआई मॉडल ऐसे समय पर उठाया गया कदम है, जब भारत विभिन्न राष्ट्रों के समूह में एक विश्वसनीय राष्ट्र है और इसलिए यह आने वाले दिनों में भारत को नैतिक एआई समाधानों के एक अधिक विश्वसनीय तकनीकी महाशक्ति के रूप में उभरने में मदद करेगा। एक उच्च-स्तरीय सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा द्वारा समर्थित, भारत एआई मिशन अब भारतीय भाषाओं का उपयोग करके भारतीय संदर्भ के लिए स्वदेशी एआई समाधानों को अनुकूलित करने के करीब है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता, डेवलपर और कोडर इस संबंध में कई आधारभूत मॉडलों पर पूरी तत्परता से काम कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई कि भारतीय एआई मॉडल 6 महीने के भीतर तैयार हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि "हमारे प्रधानमंत्री का आर्थिक विषयों पर चिंतन बहुत समावेशी है। वह आधुनिक तकनीक को सभी के लिए सुलभ बनाने में विश्वास करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पिरामिड के निचले हिस्से में रहने वाले लोग आर्थिक रूप से सशक्त हों।"
एआई मॉडल की शुरुआत लगभग 10000 जीपीयू की कम्प्यूटेशन सुविधा के साथ हो रही है। जल्द ही शेष 8693 जीपीयू भी इसमें शामिल कर लिए जाएंगे। शुरुआत में इसका लाभ मुख्य रूप से अनुसंधानकर्ताओं, छात्रों और डेवलपर को मिलेगा। मिशन में भाग लेने वाले तकनीकी भागीदारों ने इस मिशन की क्षमता पर बहुत भरोसा जताया है कि यह कम्प्यूटिंग तक पहुंच को और वह भी बहुत ही प्रतिस्पर्धी दरों पर लोकतांत्रिक बनाने के अपने उद्देश्य को पूरा करेगा। सरकार ने लागत का 40 प्रतिशत सब्सिडी के बाद इसे उपयोगकर्ताओं को 100 रुपये प्रति जीपीयू से भी कम की दर पर देने का फैसला किया है। 2.5 से 3 डॉलर प्रति घंटे के उपयोग की लागत वाले वैश्विक मॉडलों की तुलना में, भारत के एआई मॉडल की लागत 40 प्रतिशत सरकारी सब्सिडी के बाद 100 रुपये प्रति घंटे से भी कम होगी। आकर्षक अर्धवार्षिक और वार्षिक योजनाएं इसे और अधिक किफायती बना देंगी।
अपने पारिस्थितिकी तंत्र को रणनीतिक रूप से विकसित कर रही है। सेमीकंडक्टर मिशन में 30 बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश के साथ, इंडिया एआई की आकांक्षाएं इसकी व्यापक तकनीकी दृष्टि के साथ तालमेल रखती हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डीपसीक और अन्य मूलभूत मॉडल भारतीय सर्वर पर होस्ट किए जा सकते हैं, जो एलएलएएमए जैसी पिछली पहलों के समान है। उन्होंने कहा, एआई का वास्तविक प्रभाव चैटबॉट और इमेज जेनरेशन से परे औद्योगिक अनुप्रयोगों में है; यह वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करेगा जैसे:
● तेल ड्रिलिंग रिग का स्वास्थ्य
● रेलवे टिकटिंग अनुकूलन
● कृषि के लिए मृदा स्वास्थ्य निगरानी
● मौसम और चक्रवात की भविष्यवाणी
मिशन वास्तविक समय का पता लगाने वाले उपकरणों, डीप-फेक शमन और मजबूत एआई जोखिम प्रबंधन रणनीतियों के माध्यम से एआई सुरक्षा पर भी जोर देता है। स्टैनफोर्ड ने एआई शिक्षा में भारत को शीर्ष देशों में स्थान दिया है, जिसमें 240 विश्वविद्यालय एआई पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं और 100 विश्वविद्यालय 5जी प्रयोगशालाओं से सुसज्जित हैं।
लोकतांत्रिक, समावेशिता, सामर्थ्य और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत एक वैश्विक एआई पावरहाउस के रूप में उभरने के लिए तैयार है, जो सामाजिक और औद्योगिक उन्नति के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के भविष्य को आकार देगा। इस कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अपर सचिव श्री अभिषेक सिंह और इंडिया एआई की सीईओ श्रीमती कविता भाटिया, इंडिया एआई के सीओओ, एनईजीडी के पीएंडसीईओ श्री नंद कुमारम और डीआईसी के सीईओ और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।