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भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर विशेष ध्यान देते हुए यात्री कारों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक योजना को मंजूरी दी है। यह ऐतिहासिक पहल वर्ष 2070 शून्य कार्बन उत्‍सर्जन प्राप्त करने, सतत गतिशीलता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के देश के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप है। इसे भारत को ऑटोमोटिव विनिर्माण और नवाचार का एक प्रमुख वैश्विक केन्‍द्र बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने “भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना” (एसपीएमईपीसीआई/योजना) के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों की अधिसूचना जारी की है। एमएचआई ने 15 मार्च 2024 को योजना की अधिसूचना जारी की थी। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने भी योजना के प्रावधानों के अनुरूप आयात शुल्क में कमी के लिए 15 मार्च 2024 को अधिसूचना जारी की थी। योजना के अंतर्गत आवेदन आमंत्रित करने के लिए अधिसूचना जल्द ही अधिसूचित करने का प्रस्ताव है, ताकि आवेदक ऑनलाइन आवेदन जमा कर सकें।

इस योजना से वैश्विक ईवी निर्माताओं से निवेश आकर्षित करने और देश को ई-वाहनों के विनिर्माण केन्‍द्र के रूप में बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। यह योजना देश में ईवी के क्षेत्र में वैश्विक विनिर्माण को बढ़ावा देने, रोजगार सृजन और “मेक इन इंडिया” के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगी।

योजना के अंतर्गत वैश्विक निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए अनुमोदित आवेदकों को आवेदन अनुमोदन तिथि से 5 वर्ष की अवधि के लिए 15 प्रतिशत के कम सीमा शुल्क पर न्यूनतम 35,000 अमेरिकी डॉलर के सीआईएफ मूल्य के साथ ई-4डब्ल्यू की पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (सीबीयू) का आयात करने की अनुमति दी जाएगी।

योजना के प्रावधानों के अनुरूप अनुमोदित आवेदकों को न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना आवश्यक होगा।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारी उद्योग मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर विशेष ध्यान देने के साथ ही यात्री कारों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक दूरदर्शी योजना को मंजूरी दी है। यह ऐतिहासिक पहल वर्ष 2070 शून्य कार्बन उत्‍सर्जन प्राप्त करने, सतत गतिशीलता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के देश के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप है। इसे भारत को ऑटोमोटिव विनिर्माण और नवाचार का एक प्रमुख वैश्विक केन्‍द्र बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

यह योजना देश को इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए रणनीतिक रूप से तैयार की गई है। 4,150 करोड़ रुपये की न्यूनतम निवेश सीमा के साथ यह योजना देश में दीर्घकालिक विनिर्माण वातावरण प्रदान करती है। कैलिब्रेटेड कस्टम ड्यूटी रियायतों और स्पष्ट रूप से परिभाषित घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) के माध्यम से यह योजना अत्याधुनिक ईवी तकनीकों को पेश करने और स्वदेशी क्षमताओं को पोषित करने के बीच संतुलन बनाती है।

घरेलू मूल्य संवर्धन लक्ष्यों को अनिवार्य बनाकर यह योजना 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहलों को और बढ़ावा देगी, साथ ही वैश्विक और घरेलू दोनों कंपनियों को भारत की हरित गतिशीलता क्रांति में सक्रिय भागीदार बनाएगी।

सीमा शुल्‍क लाभ:

आवेदकों को आवेदन अनुमोदन तिथि से 5 वर्ष की अवधि के लिए 15 प्रतिशत के कम सीमा शुल्क पर न्यूनतम 35,000 अमेरिकी डॉलर के सीआईएफ मूल्य के साथ वैश्विक समूह कंपनियों द्वारा निर्मित ई-4डब्ल्यू के सीबीयू का आयात करने की अनुमति दी जाएगी।

उपर्युक्त कम शुल्क दर पर आयात किए जाने वाले ई-4डब्ल्यू की अधिकतम संख्या प्रति वर्ष 8,000 तक सीमित होगी। अप्रयुक्त वार्षिक आयात सीमा को आगे ले जाने की अनुमति होगी।

ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक (पीएलआई ऑटो स्कीम) के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अंतर्गत जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन योजना के तहत आवश्यक उत्पाद के डीवीए का आकलन करने के लिए किया जाएगा।

अनुमोदित आवेदक द्वारा भारत में निर्मित उत्पाद के डीवीए का प्रमाणन एमएचआई द्वारा अनुमोदित परीक्षण एजेंसियों द्वारा किया जाएगा।

उत्पाद के घरेलू विनिर्माण के लिए निवेश किया जाना चाहिए। यदि योजना के अंतर्गत निवेश ब्राउनफील्ड परियोजना पर किया जाता है, तो मौजूदा विनिर्माण सुविधाओं के साथ स्पष्ट भौतिक सीमांकन किया जाना चाहिए।

नये संयंत्र, मशीनरी, उपकरण और संबद्ध उपयोगिताओं, इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं विकास (ईआरएंडडी) पर किया गया व्यय।

भूमि पर किए गए व्यय पर विचार नहीं किया जाएगा। हालांकि, मुख्य संयंत्र और उपयोगिताओं की इमारतों को निवेश का हिस्सा माना जाएगा, बशर्ते यह प्रतिबद्ध निवेश के 10 प्रतिशत से अधिक न हो।

चार्जिंग अवसंरचना पर किया गया व्यय प्रतिबद्ध निवेश के अधिकतम 5 प्रतिशत तक माना जाएगा।

बैंक गारंटी:

विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना, डीवीए की प्राप्ति और योजना के अंतर्गत निर्धारित शर्तों के अनुपालन के लिए आवेदक की प्रतिबद्धता भारत में किसी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक से बैंक गारंटी द्वारा समर्थित होगी, जो योजना अवधि के दौरान कुल शुल्क छूट के बराबर या 4,150 करोड़ रुपये, जो भी अधिक हो, के बराबर होगी।

बैंक गारंटी योजना की अवधि के दौरान हर समय वैध होनी चाहिए।

आवेदन पत्र:

आवेदन आमंत्रण नोटिस के माध्यम से आवेदन प्राप्त करने की अवधि 120 दिन (या अधिक) की होगी। इसके अलावा, भारी उद्योग मंत्रालय को 15.03.2026 तक आवश्यकतानुसार आवेदन विंडो खोलने का अधिकार होगा।

आवेदन पत्र दाखिल करते समय आवेदक को 5,00,000/- रुपये का गैर-वापसीयोग्य आवेदन शुल्क देना होगा।

योजना के अंतर्गत आवेदन आमंत्रित करने के लिए नोटिस शीघ्र ही जारी किया जाना प्रस्तावित है, जिसके अंतर्गत आवेदक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। उपरोक्त नोटिस भारी उद्योग मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा।


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