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CG : अस्पताल के टॉयलेट में 13 साल की छात्रा ने दिया नवजात को जन्म, कमोड में फेंकने से बच्चे की मौत

दंतेवाड़ा।

जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है बल्कि आवासीय विद्यालयों में छात्राओं की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जानकारी के मुताबिक, कटेकल्याण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भर्ती एक 13 वर्षीय नाबालिग छात्रा ने अचानक अस्पताल के टॉयलेट में एक नवजात शिशु को जन्म दे दिया। जन्म के तुरंत बाद छात्रा ने डर और लोक लाज के चलते नवजात को कमोड में फेंक दिया, जिससे बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई।

बताया जा रहा है कि छात्रा कटेकल्याण के आवासीय बालिका छात्रावास में रहकर कक्षा 7वीं की पढ़ाई कर रही थी। उसे बुखार और सांस की दिक्कत की शिकायत पर कटेकल्याण से जिला अस्पताल में रेफर किया गया था। इलाज के दौरान जब ब्लीडिंग हुई तो जांच में पता चला कि वह गर्भवती है और हाल ही में डिलीवरी कर चुकी है।

वहीँ मामले में नवजात शिशु का पोस्टमार्टम कराया गया है, जिसकी रिपोर्ट से मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा। मेडिकल ऑफिसर प्रियंका सक्सेना ने बताया कि छात्रा का हीमोग्लोबिन 6 ग्राम से भी कम था और उसमें पीलिया के लक्षण भी थे। इसे गंभीर मानते हुए छात्रा को जगदलपुर रेफर कर दिया गया है।

एसपी गौरव राय ने इसे बेहद गंभीर मामला बताया है। पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि नाबालिग गर्भवती कैसे हुई और कौन है आरोपी। छात्रा ने बताया कि कटेकल्याण का ही एक लड़का इसका जिम्मेदार है। अब तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, पर जल्द गिरफ्तारी का दावा किया गया है।

छात्रा की मां मितानिन कार्यकर्ता हैं जो खुद गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर काम करती हैं, लेकिन उन्हें भी बेटी की स्थिति की जानकारी नहीं थी।

प्रशासन का दावा है कि छात्रा ग्रीष्मकालीन अवकाश में घर गई थी, जबकि यह भी कहा जा रहा है कि वह आवासीय विद्यालय में थी। ऐसे में हॉस्टल प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठने लगे हैं।

यह घटना न केवल एक नाबालिग बच्ची के जीवन से जुड़ी त्रासदी है बल्कि यह प्रशासनिक और सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था पर भी कड़ा सवाल है। क्या आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों की बच्चियों की सुरक्षा यूं ही अनदेखी होती रहेगी? इस केस की पारदर्शी और निष्पक्ष जांच ही आगे की दिशा तय करेगी।


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