
डीएपी की आपूर्ति बढ़ाने हेतु समझौतों पर हुए हस्ताक्षर, अब 1.9 से बढ़कर 3.1 मिलियन मीट्रिक टन होगी डीएपी की आपूर्ति
छत्तीसगढ़ के किसानों को भी इस समय डीएपी को लेकर भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, काफी कोशिशों के बावजूद शासन-प्रशासन डीएपी की कालाबाजारी रोकने में नाकाम है, किसानों को 1600 से 2000 रुपये तक में प्रति बोरी डीएपी उपलब्ध हो पा रही है. वहीं सरकार अब किसानों को डीएपी की जगह अन्य रासायनिक उर्वरक खाद उपयोग में लाने को कह रही है. लेकिन इन वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर किसानों का रुझान कम है. या फिर कहें नए तरह के रासायनिक उर्वरक का प्रयोग कर किसान किसी तरह का कोई जोखिम नही लेना चाहते.
हलाकि केंद्र सरकार की सऊदी अरब से हुए एक समझौते से किसानों को राहत मिल सकती है, जहाँ विगत वर्ष 1.9 मिलियन मीट्रिक टन के खाद का आयत किया गया था तो आने वाले वर्ष में यह मात्रा डीएपी की आपूर्ति बढ़कर 3.1 मिलियन मीट्रिक टन होने वाली है.
उर्वरक मंत्री जे.पी. नड्डा ने 13 जुलाई 2025 को रियाद में सऊदी अरब के उद्योग एवं खनिज संसाधन मंत्री बंदार बिन इब्राहिम अल खोरायफ के साथ उर्वरक, पेट्रोकेमिकल्स और फार्मास्यूटिकल सेक्टरों में साझेदारी को सुदृढ़ बनाने के तरीकों पर चर्चा की.
इस दौरान माडेन और भारतीय कंपनियों आईपीएल, कृभको और सीआईएल के बीच दीर्घकालिक समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. ये समझौते 2025-26 से आगे पांच वर्षों के लिए प्रति वर्ष कुल 3.1 मिलियन मीट्रिक टन डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक की आपूर्ति के लिए हैं, जिसे आपसी सहमति से पांच वर्षों के लिए और बढ़ाया जा सकता है. दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के दायरे को व्यापक बनाने और इसमें यूरिया के साथ-साथ डीएपी जैसे अन्य प्रमुख उर्वरकों को शामिल करने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया, जिसका उद्देश्य भारत की उर्वरक सुरक्षा को और अधिक बढ़ाना है.
जे.पी. नड्डा के इस दौरे ने भारत और सऊदी अरब के बीच, विशेष रूप से उर्वरकों के क्षेत्र में मज़बूत आर्थिक संबंधों को रेखांकित किया. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत द्वारा सऊदी अरब से डीएपी उर्वरक का आयात 1.9 मिलियन मीट्रिक टन था, जो वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान आयातित 1.6 मिलियन मीट्रिक टन से लगभग 17 प्रतिशत अधिक है.
डीएपी के लिए इन दीर्घकालिक समझौतों पर हस्ताक्षर के साथ, वित्त वर्ष 2025-26 से डीएपी की आपूर्ति बढ़कर 3.1 मिलियन मीट्रिक टन हो जाएगी. इस दौरे ने सऊदी अरब से भारत को उर्वरकों की दीर्घकालिक आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताएं सुनिश्चित कीं है.