चैटबॉट से आगे बढ़कर अब ‘खोजकर्ता’ बनेगा AI
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आने वाले वर्षों में सिर्फ चैटबॉट या सर्च टूल तक सीमित नहीं रहेगा। अमेरिकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी ओपनएआई का कहना है कि 2028 और उसके बाद एआई ऐसे “महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज” करने में सक्षम होगा, जो अब तक केवल इंसान ही कर पाते थे। कंपनी के अनुसार, वर्तमान में एआई केवल छोटी-छोटी खोज करने में सक्षम है, लेकिन आने वाले वर्षों में इसकी क्षमता कहीं अधिक बढ़ने वाली है।
ओपनएआई ने कहा कि दुनिया का बड़ा हिस्सा अभी भी एआई को केवल चैटबॉट्स या बेहतर सर्च टूल के रूप में देखता है। जबकि आज ऐसे एआई सिस्टम मौजूद हैं जो सबसे बुद्धिमान मनुष्यों से भी कठिन बौद्धिक प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
हालांकि एआई सिस्टम में अभी भी कई कमियां और सीमाएं हैं, लेकिन ओपनएआई का कहना है कि ये सिस्टम अब एक मानव शोधकर्ता की क्षमता के करीब 80 प्रतिशत तक पहुंच चुके हैं। कंपनी के अनुसार, अधिकांश लोग एआई का जिस तरह उपयोग कर रहे हैं और वास्तव में एआई की जो क्षमता है, उनके बीच अब भी बहुत बड़ा अंतर है। ओपनएआई का मानना है कि आने वाले समय में एआई ऐसे सिस्टम विकसित करेगा जो या तो स्वायत्त रूप से नई खोजें करेंगे या मानव की कार्यकुशलता बढ़ाकर वैज्ञानिक प्रगति को गति देंगे।
कंपनी ने अपने ब्लॉग पोस्ट में बताया कि कुछ ही वर्षों में एआई की क्षमता इतनी बढ़ी है कि अब वह ऐसे कार्य भी कर सकता है जिन्हें किसी इंसान को पूरा करने में एक घंटे से अधिक समय लगता है। जल्द ही एआई ऐसे काम भी करने में सक्षम होगा जिनमें किसी व्यक्ति को कई दिन या हफ्ते लगते हैं। साथ ही, एआई की लागत में भी तेज़ी से गिरावट आई है — कंपनी के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में बुद्धिमत्ता के प्रति यूनिट की लागत हर साल लगभग 40 गुना घटी है।
ओपनएआई ने कहा कि भविष्य में एआई मानव स्वास्थ्य को समझने, मटीरियल साइंस, दवा निर्माण, जलवायु मॉडलिंग और व्यक्तिगत शिक्षा जैसे क्षेत्रों में तेजी से प्रगति लाने में मदद करेगा। कंपनी ने चेतावनी दी कि हालांकि एआई की संभावनाएं बहुत बड़ी हैं, लेकिन सुपर-इंटेलिजेंट सिस्टम्स के खतरे भी गंभीर हो सकते हैं। ऐसे में इन तकनीकों की सुरक्षा और अलाइनमेंट पर गहन अध्ययन जरूरी है ताकि भविष्य में इन्हें नियंत्रित और सुरक्षित तरीके से विकसित किया जा सके।
कंपनी ने कहा, “कोई भी संस्था सुपर-इंटेलिजेंट सिस्टम को तब तक लागू नहीं करनी चाहिए, जब तक वह उन्हें पूरी तरह नियंत्रित और सुरक्षित रूप से संचालित करने में सक्षम न हो।”