11 दिसंबर को एनएच-53 बसना में कुड़ेकल पुल निर्माण को लेकर होगा एक बार फिर विशाल चक्काजाम
आक्रोशित ग्रामीणों का फूटा गुस्सा: झूठे आश्वासन से तंग जनता ने फिर भरी हुंकार
सी डी बघेल। बसना।
क्षेत्र के ग्रामीणों में आक्रोश चरम पर है। पिछले पांच वर्षों से ध्वस्त पड़ा पुल आज भी जस का तस है, जिसके कारण हजारों लोग रोजमर्रा के कार्यों—धान बेचने, राशन, स्कूल, अस्पताल, खाद-बीज एवं अन्य आवश्यकताओं—के लिए भारी परेशानियों से जूझ रहे हैं। पुल निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों ने 15 नवंबर 2025 को एनएच-53 बसना में पहले भी तीन घंटे का चक्काजाम किया था। उस समय पहुंचे विभागीय अधिकारियों एवं नायब तहसीलदार ने ग्रामीणों को 10 दिनों के भीतर पुल का टेंडर लगाने का आश्वासन दिया था, जिसके बाद ग्रामीणों ने विश्वास जताते हुए चक्काजाम समाप्त कर दिया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से 15 दिन बीत जाने के बाद भी न तो टेंडर लगाया गया और न ही कार्य प्रारंभ किया गया। अधिकारियों की इस लापरवाही और झूठे भरोसे ने ग्रामीणों के धैर्य को पूरी तरह समाप्त कर दिया है।
ग्रामीणों का कहना है कि पुल निर्माण के लिए दो साल पहले राशि स्वीकृत हो चुका है। टेंडर जारी हुआ था, लेकिन आज तक उसे खोला ही नहीं गया। प्रशासनिक मशीनरी की इस सुस्ती और नेताओं–अधिकारियों के लगातार टूटते वादों से जनता बेहद आक्रोशित और व्यथित है। ग्रामीणों ने बताया कि वे पिछले तीन वर्षों से केवल आश्वासनों पर ही चलते रहे, जबकि वास्तविक कार्य एक इंच भी आगे नहीं बढ़ा। स्थिति से क्षुब्ध होकर अब ग्रामीणों ने अब सामूहिक निर्णय लिया है कि 11 दिसंबर 2025 को वे अपने घरों में ताला लगाकर, परिवार सहित, बोरी-बिस्तर लेकर एनएच-53 बसना में विशाल चक्काजाम करेंगे।
उनका कहना है कि यह संघर्ष अब निर्णायक रूप ले चुका है, और यदि इस दौरान किसी भी प्रकार की जानमाल की हानि होती है तो उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन और शासन की होगी। ग्रामीणों ने कलेक्टर महासमुंद को दिए आवेदन में आग्रह किया है कि बिना किसी नए छलावे या आश्वासन के तत्काल टेंडर खोलकर पुल निर्माण कार्य शुरू कराया जाए, ताकि क्षेत्र की जनता को राहत मिल सके। अब देखना है कि ग्रामीणों की चेतावनी के बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है। अब देखना यह है कि वर्षों से लंबित पुल निर्माण पर सरकार और विभाग कब जागते हैं।