ममता आती है इनके आड़े फिर भी देतीं सबको सहारे, नौकरी के साथ-साथ पारिवारिक दायित्वों का समन्वय बना कर चल रही विभाग की माताएं
विश्व स्वास्थ्य दिवस विशेषः- नौकरी के साथ-साथ पारिवारिक दायित्वों का समन्वय बना कर चल रही विभाग की माताएं।
महासमुंद 06 अप्रैल 2020/ चिकित्सक हों या स्वास्थ्य
सलाहकार भगवान का रूप कहे जाते हैं। इन दिनों ये इस कदर काम में मग्न हैं
कि इन्हें न तो अपने आहार की चिंता है और न ही ये अपने परिवार के साथ वक्त
बिता पा रहे हैं। लगन है तो बस कोविड 19 के खतरे से जन-जीवन को सुरक्षित
बचा ले जाने की। हम बात कर रहे हैं जिले में कोरोना वायरस संक्रमण के
सशंकित माहौल में क्वारंटीन केंद्र में सुरक्षा कवच बना कर होम आइसोलेशन की
लक्ष्मण रेखा खींच रहे कुछ ऐसे जुझारू स्वास्थ्यकर्मियों की, जो तमाम
दिक्कतों को दरकिनार कर, चौबीसों घंटे-सातों दिन लगातार नियंत्रण का दायरा
बढ़ाते नजर आ रहे हैं।
वाकया
शहर के इमलीभाठा क्षेत्र में दी गई समझाइश का है। जहां, एक ही परिवार के
पांच सदस्यों को होम आइसोलेट कर लौटीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की सिस्टर
ट्यूटर श्रीमति लिशा जिसबिन की आंखों में नमी दिखी। पूछने पर पता चला कि
हाल ही में विदेश की यात्रा कर वापस घर पहुँची संबंधित परिवार की लाडली
बेटी की सलामती दुआ मांगते सभी परिजन तुरंत आइसोलेट हो गए। बेटी के लिए
परिजनों का स्वस्फूर्त एहतियाती कदम देख कर सहसा, उन्हें अपने दूधमुंहे
बेटे (कियान जिसबिन) की याद आ गई, जिसे वे अपनी ससुराल (जिला दुर्ग) में
छोड़ आई हैं। रोके न रुकने वाले मातृत्व अश्रु पोंछते हुए श्रीमति जिसबिन ने
बताया कि इन दिनों कोरोना वायरस संक्रमण एवं रोकथाम नियंत्रण दल में उनकी
ड्यूटी लगी है।
जहाँ, कोरोना वायरस संक्रमण की प्रबल संभावना वाले संदिग्ध
प्रकरणों से निरंतर रूबरू होना पड़ता है। इधर, वर्तमान में उनका निवास भी
एमपीडब्लू कॉलेज के हॉस्टल में है, जहाँ उनके डैक आहार का भी कोई निश्चत
ठिकाना नहीं है। ऐसे में महज एक साल के नन्हें बालक की उचित देख-भाल कर
पाना संभव नहीं था, जिसके चलते उन्हें बच्चे को उसके दादा-दादी को सौंपना
पड़ा। हालात ऐसे है कि लॉक डाउन के पहले तक हर रोज मां की गोद में अठखेलियां
करने वाले बाबा कियान और माता जिसबिन को एक-दूजे से मिले अब दो हफ्ते बीत
चुके हैं और वे अपने जिगर के टुकड़े को केवल वीडियो कॉल पर ही निहार पा रही
है। गौरतलब हो कि वात्सल्य सुख से वंचित होने के बावजूद उनके माथे पर शिकन
तक नहीं है, अगर है तो सिर्फ और सिर्फ कर्तव्यनिष्ठ सेवा का भाव जो हर किसी
के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।
बता
दें कि श्रीमति जिसबिन की तरह जिले भर में सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना
कंट्रोल का महत्व समझाने वाली ऐसी सैकड़ों मायें हैं जो स्वस्थ समाज के
निर्माण में जुटी हुई हैं। लेकिन, दुखद पहलु दर्शाता है कि संवेदनशील
क्षेत्रों में कार्य करने के कारण, कभी उन्हें पारिवारिक दूरी, तो कभी
सामाजिक असहयोग जैसी पीड़ाओं का दंश भी झेलना पड़ रहा है। दायित्व निर्वहन की
दोहरी कसौटी पर खरा उतरने वाली इन महिला स्वास्थ्य सेविकाओं को सलाम।
इन्हें परेशान किया तो सीधे एफआईआर
जिला
कार्यक्रम प्रबंधक श्री संदीप ताम्रकार ने बताया कि आपातकाल में सेवा
प्रदाता अमले को अकारण परेशान नहीं किया जा सकता। पुलिस विभाग की ओर से भी
स्पष्ट निर्देश मिले हैं कि उनके साथ दुर्व्यवहार या कार्य में बाधा
पहुंचाए जाने जैसी शिकायतों पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की
जाएगी।
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