news-details

झोलाछाप डॉक्टर फ़र्जी प्रमाण पत्र से बना रोजगार सहायक, फिर फर्जी मास्टर रोल बनाकर कर रहा राशि का आहरण.

महासमुंद जिले के लोगों का टैलेंट किसी भी प्रकार से कम नहीं है, चाहे वह खेल हो किसी अन्य प्रकार की कोई प्रतिभा या भ्रष्टाचार. इस बार जिले में भ्रष्टाचार का टैलेंट दिखाया है सरायपाली जनपद के ग्राम पंचायत प्रेतन्डीह के रोजगार सहायक ने, कहने को तो ये सरकारी दस्तावेज के अनुसार रोजगार सहायक है, पर इसके साथ ही वह अपने गाँव में डॉक्टर का भी कार्य कर लेते है. और फर्जी मास्टर रोल बनाकर राशि आहरण भी.

इनके रोजगार सहायक बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है, शिकायतकर्ता ने बताया कि ये फर्जी डॉक्टर एक फर्जी प्रमाण पत्र के साहारे रोजगार सहायक बना है जिसे भी किसी डॉक्टर द्वारा ही बनाया गया होगा.

शिकायतकर्ता ने बताया कि ग्राम पंचायत प्रेतन्डीह का रोजगार सहायक पद विकलांग के लिये आरक्षित है, लेकिन देतारी बारीक़ द्वारा किसी भी प्रकार से विकलांग नही लगने के बावजूद विकलांग प्रमाण पत्र लगा कर शासन को धोखा देकर इस पद को प्राप्त किया जो कि दण्डनीय अपराध है. जिसका ग्रामीणों द्वारा जांच की मांग की गयी है.

इसके आलावा रोजगार सहायक देतारी बारीक़ द्वारा किसी भी प्रकार के चिकित्सा योग्यता न होने के बावजूद प्राइवेट रूप से चिकित्सा दिया जाता है, जो कि शासन के नियमो का खुला उलंघन है. इसका कई बार ग्रामीण द्वारा घोर विरोध भी किया जा चूका है.

सरायपाली जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत प्रेतन्डीह में पदस्थ रोजगार सहायक देतारी बारीक़ के ऊपर आरोप ना केवल यहाँ तक सीमित है बल्कि फर्जी तरीके से रोजगार प्राप्त कर लगातार घोटाले भी किये गए.

ग्रामीणों ने  रोजगार सहायक देतारी बारीक पर मनरेगा के राशि का घपला कर शासन को भारी क्षति के साथ-साथ आम जनता को शासन से मिलने वाले आर्थिक लाभ से बंछित किये जाने का आरोप लगाये है.

ग्रामीणों का आरोप है कि रोजगार सहायक उन लोगो का नाम मास्टर रोल में दर्ज कर देता है, जो कभी काम में जाते ही नही.  रोजगार सहायक द्वारा ऐसे लोगों का मस्टर रोल में नाम दर्ज कर उनको आर्थिक लाभ पहुचाया जाता है, तथा उनसे राशि वसूली की जाती है.  

इतना ही नहीं रोजगार सहायक द्वारा अपने काम में लापरवाही किये जाने का भी आरोप है, बताया गया कि हितग्राही को आवास निर्माण चालू करने पर शासन से 15,000 रु का राशि मनरेगा से दिया जाता है, लेकिन रोजगार सहायक के लापरवाही से उनके नाम समय में मस्टर रोल जारी नही किये जाने से पंचायत में 56 लोगो का खाता लॉक हो गया. जिसके कारण सभी आवास निर्माण के 15,000 हजार रुपयों से बंचित हो गये.

इसके बाद जब हितग्राहियों ने 15,000 रु की मांग की तो देतारी बारीक़ द्वारा खाता पुनः चालू करने उनसे पैसे की मांग की जाती थी.

जो मजदुरी करने रोजगार गारंटी के काम पे कभी गये ही नही है, बड़े किसान व कई सक्षम लोगों को रोजगार सहायक द्वारा पेमेन्ट कराया गया है जिनका बैंक पेमेन्ट डिटेल शिकायत कर्ताओ द्वारा निकाला गया है जो लाखो में है.

आपको बता दें कि उपरोक्त सभी शिकायत सीईओ, अनुविभागी अधिकारी, सीईओ जिला पंचायत, प्रभारी मंत्री, पंचायत मंत्री के समख्य प्रस्तुत किया गया है. जिसकी जाँच की मांग भी की जा रही है.




अन्य सम्बंधित खबरें