news-details

स्टॉप डेम के निर्माण में ग्रामीणों द्वारा लगाये जा रहे आरोप सही नहीं !

बसना ब्लॉक अंतर्गत उमारिया, पलसापाली, उड़ेला, धानापाली में 9 स्टॉप डेम की निर्माण का कार्य लगभग 75 प्रतिशत पूरा हो चुका है. करवाए जा रहे कार्यों में  ग्रामीणों का आरोप हैं कि यहाँ नाबालिकों से कार्य करवाया जा रहा है, जो कार्य कर रहे है वे बिना मास्क और सेनेटाइजर के कार्य कर रहे है. आरोप है कि 1 माह 9 दिन के बाद भी कार्य का भुगतान नही किया जा रहा है, कुछ ग्रामीणों का आरोप यह भी है कार्य स्थल में अमानक रेत और पत्थर का उपयोग किया जा रहा है.

गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व महासमुंद जिले के उच्च अधिकारियों ने यहाँ किये जा रहे कार्य का निरीक्षण किया था, जिसमे किसी भी तरह की पत्थर और रेत में अमानक वाली बात सामने नही आई थी. जिले के अधिकारियों ने प्रत्येक बिंदुओं पर 9 स्टॉप डेम के 3 डेम का निरीक्षण किया गया था. उस समय मौके पर आस-पास के किसान और ग्रामीण मौजूद थे.

उच्च अधिकारीयो द्वारा मौके पर किसानों को भी पूछा गया लेकिन ग्रामीणों और किसान ने अनिमियता और अमानक रेत और पत्थर का उपयोग जैसे कोई बात सामने नही आई थी. उच्च अधिकारीयो ने स्टॉप डेम में निरीक्षण के दौरान गुणवत्ता की जाँच करने के लिए प्रत्येक स्तर पर जाँच किया गया. जहाँ गुणवत्ता का स्तर सही पाया गया था.

आरोप यह भी है की कोरोना काल के चलते मिट्टी का कार्य मजदूरों से करना है, लेकिन कार्य मशीन और ट्रेक्टर से करवाया जा रहा है, जिसके चलते मजदूरों को रोजगार के लिए परेशानी हो रही है. जबकी स्टॉप डेम जैसे बड़े निर्माण कार्य मे बिना मशीन की सहायता से संभव नही है.

स्टॉप डेम के निर्माण कार्य मे जेसीबी से नीव खोदा गया है, जिसका बिल भी पेश किया गया है. निर्माण स्थल में आस-पास के सैकड़ो मजदूर को कार्य में लाभ मिल रहा है, स्टॉप डेम के निर्माण कार्य मे कुछ 16 से 17 वर्षीय युवक-युवतियों को भी कार्य करते देखा जा रहा है.

निर्माण स्थल में के कर्मचारियों ने बताया कि स्टाप डेम के निर्माण स्थल में कोई भी बाल श्रमिक कार्यरत नही है, कुछ 16 से 17 वर्षीय युवक-युवतियां अपने माता पिता के बदले कभी-कभी कार्य मे आ जाते. जिनको हम कार्य से बेदखल नही कर सकते. चूँकि इनके रोजी रोटी का सवाल है.

कर्मचारियों ने बताया कि ऐसे युवक-युवतियों से ज्यादा भार वाला भी कार्य नही करवाया जाता है, ना ही किसी अधिकारी कर्मचारी द्वारा जबरदस्ती कार्य करवाया जाता है.

ग्रामीणों का कहना है कोरोना काल के वजह से सभी कार्य बंद है ऐसे में शासकीय कार्य ही एक रोजगार का सहारा बना हुआ है. ऐसे में 16 और 17 वर्ष के कुछ लड़के-लडकिया भी रोजगार के अवसर का लाभ उठा रहे है.

नियम के मुताबिक  14 साल से कम उम्र के बच्चों को काम देना गैर-क़ानूनी है,  14-18 वर्ष की आयु के बच्चों को काम पर रखा जा सकता है. (जो किशोर/किशोरी की श्रेणी में आते हैं) यदि कार्यस्थल सूची में शामिल खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया से न जुड़ा हो.

कर्मचारियों का कहना है कि इन्हें 190 रुपये के दर से भुगतान किया जा रहा है, सभी मजदूरों का पासबुक के जानकारी लेकर सम्बन्धित विभाग और बैंक को भेजा गया है. जिसमे स्टेट बैंक के खाता धारकों वाले मजदूरों के खाते में रकम आना चालू हो गया है.

बताया गया कि लॉकडाउन के कारणों से भी विभाग से कुछ मजदूरों की जानकारी बैंक नही पहुंची है इसलिए भी मजदूरी भुगतान में लेट हो रहा है. हालांकि इस हफ्ते में सभी मजदूरों का भुगतान करने विभाग पूरा प्रयास कर रहा है.

कृषि विभाग के एडीओ प्रधान ने बताया कि ने बताया कि सभी मजदूरों का बैंक डिटेल्स सभी सम्बन्धित बैंको को भेज दिया गया है. लॉक डाउन के चलते कुछ मजदुरो का भुगतान बैंक द्वारा नही किया जा रहा है.


ग्रामीणों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि निर्माण स्थलों में मास्क और सेनेटाइजर वितरण नही किया गया है, जबकि कृषि विभाग के एडीओ आरएस प्रधान द्वारा सभी मजदूरों को 3 बार मास्क वितरण किया जा चुका है और सेनेटाइजर रोज व्यवस्था करवाते है. मास्क वितरण के बाद कई मजदूर मास्क घर मे ही भूल आते हैं. और अक्सर काम करते समय अधिक गर्मी लगने के कारण अपना मास्क उतार देते है.


एडीओ आरएस प्रधान के ऊपर भी आरोप लगाया जा रहा है कि सप्ताह में एक दिन आते है और कुछ देर रुक कर चले जाते है, जबकि मजदूरों ने बताया कि आरएस प्रधान रोज सुबह होते ही और कई बार मजदूरों के पहले निर्माण स्थल में रहते है. और 9 स्टॉप डेम के देख-रेख के बाद शाम को ही घर जाते है.

आज 1 माह 10 दिन के लगभग कार्य मे 9 स्टाप डेम निर्माण का लगभग 75 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका हैं. जो नियत समय मे कार्य हो रहा है. बरसात के पहले कार्य पूर्ण करने विभाग प्रतिबद्ध है जिसके लिए कृषि विभाग लगातार कार्य कर रहा है.






अन्य सम्बंधित खबरें