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मधुमेह, रक्तचाप, टाइफाइड और टीबी से पीड़ित कोविड-19 मरीज की एम्स में मृत्यु.

तहसीलदार और चिकित्सक की मौजूदगी में प्रोटोकॉल का पालन करते हुए विधिवत अंतिम संस्कार किया गया

मंगलवार को अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान से बुरी खबर मिली। जिले के बसना विकासखण्ड के रहने वाले कोविड-19 से संक्रमित 55 वर्षीय व्यक्ति की रायपुर एम्स में उपचार के दौरान मौत हो गई। बताया जा रहा कि मृतक को पहले से ही मधुमेह, अनियमित रक्तचाप की बीमारियों ने घेर रखा था, साथ ही कोविड-19 के अतिरिक्त वह टाइफाइड एवं क्षय रोग से भी जूझ रहे थे।

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक विकासखण्ड बसना का रहने वाला एक 55 वर्षीय मजदूर हाल ही में झारखण्ड के रांची जिले से यात्रा कर 19 जून 2020 को सड़क मार्ग से बस में परिवहन करते हुए वापस महासमुंद लौटा था। लौटते ही उसे अखराभाठा टुकड़ा, बसना के क्वारंटीन केंद्र में रखा गया और स्वास्थ्य परीक्षण एवं निगरानी शुरू की गई। इस दौरान 20 जून 2020 को उसके स्वाब के नमूने लिए गए और 23 जून 2020 को उसके कोरोना धनात्मक होने की पुष्टि हुई।

जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग ने उसे अविलंब राजधानी रवाना किया, जहां आगामी उपचार के लिए 24 जून 2020 को अखिल भारतीय आर्युर्विज्ञान संस्थान में उसका दाखिला किया गया। इस दौरान उसके कोरोना निगेटिव होने की बात भी सामने आई, मगर मधुमेह, अनियमित रक्तचाप, टाइफाइड एवं क्षय रोग संबंधी बीमारियां निरंतर बनी रहीं। 30 जून 2020 की दोपहर एम्स रायपुर में उसकी तबियत अधिक बिगड़ गई। चिकित्सालय प्रबंधन ने उसके परिजनों को संदेश भेजना चाहा तो दूरभाष पर जिले के संबंधित क्षेत्र के ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक  प्रणव प्रधान का नंबर दर्ज मिलने पर सबसे पहले उन्हें ही सूचना मिली।  प्रधान ने इस बारे में तत्काल खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. जेपी प्रधान को बताया।

डॉ. प्रधान ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसपी वारे सहित मरीज के परिजनों को सूचित किया और डॉ वारे द्वारा प्रकरण की अद्यतन जानकारी के संदर्भ में मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ रवि मित्तल को अवगत कराया गया। वहीं मरीज के परिजन मंगलवार 30 जून 2020 की रात करीब 11ः30 बजे एम्स पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने बताया कि मंगलवार की रात 09ः53 बजे मरीज की मृत्यु हो चुकी है। इसके बाद शव को मृतक के गृह ग्राम लाया गया, जहां बुधवार 01 जुलाई 2020 को प्रोटोकॉल का वैधानिक रूप से पालन करते हुए संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार एवं चिकित्सक की देख-रेख में मरीज का अंतिम संस्कार किया गया।




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