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धोखाधड़ी करने वाले आरोपी के साथ जाँच करने पहुँचे थे, कृषि विभाग के एक उच्च अधिकारी

जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले धोखाधड़ी करने वाले एक आरोपी के साथ कृषि विभाग के अपर संचालक अधिकारी अपने वाहन से बसना विकासखंड अंतर्गत बनाए जा रहा स्टॉप डेम का निरीक्षण करने पहुँचे थे. जहाँ आरोपी का कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार करने की बात सामने आई है.

जानकारी के अनुसार रायपुर के एक कारोबारी ने एफआईआर दर्ज करवाई है कि कारोबारी ने नोटबन्दी के दौरान उधार ली गई रकम के एवज मे दिए गए चेक का इस्तेमाल किया.

उल्लेखनीय है कि 5 लाख उधार में लिए गए रकम को पटाने के बाद भी आरोपी ने चेक का इस्तेमाल किया जबकि रकम लौटाने के बाद पीड़ित के चेक मांगने पर आरोपी ने चेक जल जाने की बात कही थी.

जबकि पीड़ित के खाते से लगभग 14 लाख निकालने की कोशिश की गई. इस घटना को विजय दास नाम के आरोपी ने अंजाम दिया, जिसके साथ कृषि विभाग के अधिकारी बसना के स्टॉप डेम में निरीक्षण करने पहुँचे थे.

बताया गया कि इस दौरान उस आरोपी द्वारा कृषि विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ मिलकर और अधिकारियों के संरक्षण ने बसना कृषि विभाग के कर्मचारियों के ऊपर धौस और बेबुनियाद आरोप लगाना चालू किया.

जिसपर सवाल उठता है कि छत्तीसगढ़ कृषि विभाग के एक उच्च अधिकारी के साथ लाखो का धोखाधड़ी करने वाले आरोपी का क्या सम्बन्ध है जबकि आरोपी विभाग से सम्बन्धित भी नहीं है. लेकिन ये रायपुर से बसना मे बन रहे स्टॉप डेम के निरीक्षण करने अधिकारी के वाहन में लाए गए थे.

ज्ञात हो कि उक्त आरोपी इतना चालाक है कि पीड़ित के रकम पटाने के बाद भी चेक को नही लौटाया और पीड़ित को गुमराह किया. और बाद में उस चेक से रकम निकालने की कोशिस की. जिसके बाद पीड़ित के खाते मे रकम नही होने के कारण चेक बाउंस हो गया जिसके बाद विजय कुमार दास ने चेक बाउंस का नोटिस पीड़ित को भेज दिया. जिसके बाद पीड़ित ने इसकी शिकायत मोहदापारा थाना में की और जांच के बाद एफआईआर दर्ज की गई.

पुलिस के अनुसार विजय कुमार दास ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 8 लाख, 5 लाख और 84 हजार का 3 चेक से रकम निलालने की कोशिस किया. आरोपी को उधार रकम के बदले दस प्रति ब्लैंक चेक दिया गया था.

ऐसे आरोपियों के साथ उच्च अधिकारी जांच के लिए आते है और छोटे कर्मचारियों के ऊपर दबाव बनाया जाता है ऐसे में लोगो के बीच गलत संदेश जाता है.

इस सम्बंध में कृषि विभाग के संचालक नीलेश ख़िरसागर को संपर्क कर मामले का अवगत करा दिया गया है. लेकिन किसी भी प्रकार का कोई जवाब नही दिया गया है.




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