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कोरोना की वजह से देश-विदेश का सफर आसान नहीं, पर छत्तीसगढ़ के शिक्षक कर आए अंतरिक्ष की सैर

बच्चों को चित्र एवं चार्ट के माध्यम से पढ़ाना हुआ पुराना। अब शिक्षक,  काल्पनिक वस्तुओं से वास्तविक जगत में पढ़ा सकेंगे और विद्यार्थियों को सिखाएंगे वर्चुअल जगत से निर्माण, ऑग्मेंटेड रियलिटी (ए.आर.) से बदलेगा पढ़ने-पढ़ाने का तरीका, साथ ही, घर से निकले बिना कोरोना से बचकर कर सकेंगे पूरे विश्व की सैर...। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा शिक्षकों को नवीनतम तकनीक ऑग्मेंटेड रियलिटी का उपयोग करने के लिए आयोजित वेबीनार में यह जानकारी दी गई। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कोरोना काल में स्कूल बंद होने के कारण राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पढ़ई तुंहर कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा प्रदान की जा रही है। वेबीनार में हजारों की संख्या में शिक्षकों ने भाग लिया।

वेबिनार में शिक्षा सलाहकार सत्यराज अय्यर ने ऑग्मेंटेड रियलिटी और वर्चुअल रियलिटी (वी.आर.) जैसे आधुनिक तकनीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि इस तकनीक में आसपास के वातावरण से मेल खाता हुआ एक कम्प्यूटर जनित वातावरण तैयार किया जा सकता हैं। आसान भाषा में समझे तो आसपास के वातावरण के साथ एक और आभासी दुनिया को जोड़कर एक वर्चुअल सीन तैयार किया जाता है, जो देखने में वास्तविक लगता है।

उन्होंने वेबिनार के दौरान लाइव डेमो देते हुए, ऑग्मेंटेड रियलिटी की मदद से सचमुच का शेर, गाय, हाथी, ड्रैगन को बनाकर दिखाया। साथ ही शिक्षकों को मानव शरीर संरचना, सौर मंडल जैसे विज्ञान से जुड़ी अवधारणाओं को समझाने के लिए 3-डी सिम्युलेटेड वातावरण उपयोग के लिए लाइव डेमो प्रस्तुत किया। श्री अय्यर ने बताया की हम सदियों से गणित पढ़ाते समय 3-डी आकारों को ब्लैकबोर्ड एवं पेपर जैसे 2-डी सतह पर बच्चों को सिखातें हैं,

अब हमारे फोन में ऐसे फीचर्स आ चुके हैं कि शिक्षक 3-डी मॉडल को 3-डी सतह पर सीधा दिखा कर पढ़ा सकते हैं। यह तकनीक काफी समय से सैन्य प्रशिक्षण, इंजीनियरिंग डिजाइन, शॉपिंग, चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में उपयोग हो रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में इसकी उपयोगिता बहुत कम एवं धीमी रही हैं।

समय आ गया हैं की हम ऐसे नवाचारों को अपनाएं और विद्यार्थियों को भविष्य के लिए नवीनतम तरीके से तैयार करें।

अय्यर ने इस बात पर भी जोर दिया की विद्यार्थियों को नए-नए प्रकार के क्षेत्रों में अपना भविष्य बनाना होगा। जॉब सीकर (Job Seeker) से हटकर जॉब क्रिएटर (Job Creator) बनना होगा। यह तभी संभव होगा जब हम आस-पास हो रही सामाजिक समस्याओं को गौर से देखेंगे, समझेंगे और नवीन तकनीक की मदद से इन समस्याओं को हल करने की दिशा में काम करेंगे। अक्सर गांव में रहने वाले विद्यार्थी समस्या को तो आसानी से परख लेते हैं, परन्तु उनके पास ऐसी तकनीकी जानकारी एवं सीमित संसाधनों के चलते जीवन में अच्छे मौके से वंचित रह जाते है।

इसलिए शिक्षकों को इसके लिए जिम्मेदारी लेनी होगी और उन्हें अपने आप को सबसे पहले डिजिटल युग के अनुसार सक्षम बनना होगा ताकि वे बच्चों को प्रेरित कर सकें और उन्हें एक नई दुनिया और उज्वल भविष्य हेतु अपना मार्गदर्शन प्रदान कर सकें। यू-ट्यूब से जुड़ें शिक्षकों ने वेबिनार के प्रति अपनी संतुष्टि जतायी और कॉमेंट करते हुए कहा की वे भी इस नवाचार को कक्षा में अपनाते हुए बच्चों को रोचक तरीके से पढ़ाने की भरपूर कोशिश करेंगे।





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