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महासमुंद : दिव्यांगजन स्वरोजगार ऋण योजना से भागेश्वर गजेन्द्र बनें आत्मनिर्भर साथ ही चार लोगों को उपलब्ध कराया रोजगार

श्रवणबाधित भागेश्वर गजेन्द्र आटो पार्ट्स एवं रिपेयरिंग की दुकान खोलकर कर रहे लाखों की कमाई

श्रवणबाधित भागेश्वर गजेन्द्र जिले के दिव्यांगजनों के लिए बनें प्रेरणास्त्रोत

राज्य शासन द्वारा समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत निःशक्तजन वित्त विकास निगम द्वारा दिव्यांगजन स्वरोजगार ऋण योजना संचालित है। यह योजना जिले के दिव्यांगजनों के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है। जिसमें जिले के विभिन्न दिव्यांगजनों को ऋण उपलब्ध कराकर उन्हें स्वरोजगार एवं मुख्य धारा में जोड़नें का कार्य समाज कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है।

पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम लाखागढ़ निवासी श्रवणबाधित भागेश्वर गजेन्द्र के पिता का आकस्मिक निधन वर्ष 2009 में हो गया। उस समय श्री भागेश्वर की आयु मात्र 20 वर्ष थी। अचानक उनके पिता का साया सर से उतर जाने से मानो उस पर पहाड़ टूट पड़ी। घर में बड़े होने के नाते उनकी दो बहन, एक भाई का दायित्व उनके कंधे में आ गया। जिसके कारण उन्हें काफी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। जिसके चलते वे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए किन्तु अपने भविष्य और परिवार को लेकर वे काफी चिंतित रहा करते थे। 

इसके उपरांत भी वे हमेशा आगे बढ़ने की सोचा करते थे। एक दिन उनके मन में विचार आया कि वे स्वरोजगार स्थापित कर आत्मनिर्भर बनें। तब किसी ने उन्हें बताया कि समाज कल्याण विभाग के माध्यम से दिव्यांगजनों के लिए निःशक्तजन वित्त विकास निगम द्वारा स्वरोजगार के लिए निःशक्तजनों को ऋण उपलब्ध कराया जाता है। तब उन्होंने समाज कल्याण विभाग पहुंचकर योजना के बारंे में जानकारी ली। इस पर अधिकारियों ने उन्हें विस्तारपूर्वक जानकारी दी। विभाग ने उनके लिए आटो पार्ट्स इकाई स्थापना के लिए दो लाख 69 हजार 820 रूपए का ऋण 06 प्रतिशत् सालाना ब्याज की दर से स्वीकृत किया गया। इसके उपरांत उन्होेंने स्वीकृत ऋण से पिथौरा में आटो पार्ट्स की दुकान डाली।

भागेश्वर गजेन्द्र का व्यवसाय के प्रति काफी लगन और मेहनत करनेे के कारण उन्होंने कुछ वर्षों में मासिक किश्त के माध्यम से पूरा ऋण चुका दिया। जिसके कारण विभाग ने उनका नाम उत्थान सब्सिडी का लाभ देने के लिए चयन किया तथा उनके ब्याज राशि में 25 प्रतिशत् की छूट प्रदान की गई। वे वर्तमान में पिथौरा में अपने आटो पार्ट्स का दुकान संचालित कर रहें हैं। जहाॅ कार, मोटर सायकल रिपेयरिंग एवं आॅटो पार्ट्स की बिक्री कर रहें हैं।

वर्तमान समय में भागेश्वर गजेन्द्र आत्मनिर्भर एवं सफल उद्यमी है और अपने संयुक्त परिवार की जिम्मेदारी बखूबी उठा रहे है। उन्होंने अपने दुकान में चार अन्य कर्मचारियों को भी रोजगार उपलब्ध करा रहे है। उन्हें व्यवसाय से प्रतिवर्ष लगभग 03 लाख रूपए की आमदनी प्राप्त हो रही है। अब वे पूर्णतः आर्थिक रूप से सक्षम होकर समाज की मुख्य धारा से जुड़कर सम्मान पूर्वक जीवन यापन कर रहें है। श्री भागेश्वर गजेन्द्र जिले के अन्य दिव्यांगजनों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत के रूप में जाना जाता है।




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