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महासमुंद : खेतों में अवशेष जलाने पर लगेगा 15 हजार जुर्माना, किसान समझदारी बरतें - कलेक्टर

महासमुंद जिले में खरीफ धान की फसल कटाई का कार्य अंतिम चरण में है। ऐसे में रबी फसल की तैयारी के लिए कई किसान बचे अवशेष को खेतों में ही जला देते हैं। किन्तु अब खेत में फसल अवशेष जलाते पकड़े जाने पर कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। बचे अवशेष को खेतों में ही जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, साथ ही आसपास खेतों में आगजनी भी हो जाती है।

इसे रोकने के लिए कलेक्टर कार्तिकेया गोयल ने अफसरों को हिदायत दी है। उन्होंने बताया कि किसानों द्वारा फसल अवशेष, ठूंठ को खेतों में जलाने से भूमि में लाभदायक जीवाणुओं के नष्ट होने के साथ कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मिथेन गैस एवं विभिन्न प्रकार की जहरीली गैसों से वायु प्रदूषण, मृदा भी खराब होती है। मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसे हर हालत में रोका जाए। जरूरत पड़ने पर जुर्माना की कार्रवाई की जाए।      

उप संचालक कृषि  एस.आर. डोंगरे ने बताया कि जुर्माना 15 हजार रुपए तक लगाया जा सकता है। यह है प्रावधान फसल अवशेष को जलाने से वायु प्रदूषण होता है। वायु प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम के तहत 2 एकड़ से कम के लिए 2500 रुपए प्रति घटना, 2 से 5 एकड़ तक 5 हजार रुपए प्रति घटना और 5 एकड़ से अधिक होने पर 15 हजार प्रति घटना अर्थदंड व 6 माह की सजा का प्रावधान हैं। उन्होंने बताया कि इसमें जिला दण्डाधिकारी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, पुलिस अधीक्षक, प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी को अधिकृत किया गया है।

फसल अवशेष से बना सकते है कम्पोस्ट खाद

जिला कृषि अफसरों के मुताबिक फसल की अवशेष से सुपर कम्पोस्ट खाद बनाया जा सकता है। विभाग के अधिकारी जिन कृषकों के पास उपयोग से अधिक फसल अवशेष जैसे पैरा, भूसा आदि है, उन्हें खेत में जलाने के बजाय निकटतम गोठानों में पशुचारा के लिए उपलब्ध कराने एवं डी-कम्पोजर के घोल का छिड़काव कर कुछ ही दिनों में सुपर कम्पोस्ट खाद बनाकर उपयोग करने की समझाईश दे रहे हैं। इससे वायु प्रदूषण में रोकथाम के साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति में सुधार होगा, जो कि पर्यावरण सहित सबके लिए लाभकारी है। कलेक्टर ने जिले के सभी ब्लॉकों में अधिकारियों को खेत में अपशिष्ट पदार्थ जलाने से रोकने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने राजस्व विभाग के अधिकारियों से कहा कि किसानों को इस बात के लिए प्रेरित करें कि वे कृषि अपशिष्ट का प्रयोग खाद बनाने या दूसरे कामों में करें।

किसान समझदारी बरतें

कलेक्टर ने कहा कि किसान समझदारी बरतें। फसल अवशेष को खेत में जलाने के बजाए उसका उपयोग चारे के रूप में या फिर कंपोस्ट खाद बनाने में करें। इस प्रकार फसल अवशेषों का बेहतर उपयोग किया जा सकता है। फसल अवशेष को खेत में जलाना हर दृष्टि से हानिकारक है।

कलेक्टर के निर्देश पर उप संचालक कृषि श्री एस.आर. डोगरे ने जिले के सभी कृषि विकास अधिकारियों को पत्र जारी कर इसे रोकने के उचित प्रबंध करने कहा है। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष को जलाने से रोकने तथा उनके उचित प्रबंधन पशुचारे के रूप में उपयोग करने, कम्पोस्ट बनाने आदि के संबंध में कृषि विभाग द्वारा मैदानी अमलों के माध्यम से कृषकों को समझाईश देने एवं फसल अवशेष प्रबंधन के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया है। इसके बावजूद भी कृषकों द्वारा फसल अवशेष को जलाया जाता है। जिन कृषकों के पास उपयोग से अधिक फसल अवशेष जैसे पैरा, भूसा आदि है, उन्हें खेत में जलाने की अपेक्षा निकटतम गौठानों में पशुचारा के लिए उपलब्ध कराने एवं डी-कम्पोजर के घोल का छिड़काव कर कुछ ही दिनों में सुपर कम्पोस्ट खाद बनाकर उपयोग में लाने समझाईश दी जाती है। इससे वायु प्रदुषण में रोकथाम के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति गुणवत्ता में सुधार होगा जो कि पर्यावरण सहित सबके लिए हितकर अथवा लाभकारी होगा।




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