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थोड़े से प्रयास व कुछ सुविधाए बढ़ाई जाए तो लोहडिपुर में स्थित ऐतिहासिक "मामा भांचा "जंगल में पर्यटन की असीम संभावनाएं..

महासमुंद जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे स्थान है जो थोड़े से प्रयास कर कुछ सुविधाएं बढ़ाई जाए तो पर्यटन कि अपार संभावनाएं हैं। यह प्रयास करने होंगे शासन प्रशासन के साथ स्थानीय जनप्रतनिधियों को। एक ऐसी ही जगह है महासमुंद जिले के बसना विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत लोहड़िपुर में स्थित क्षेत्र के सुप्रसिद्ध और ऐतिहासिक " मामा भांचा" जंगल पहाडी)जिस जगह मै यह पहाड़ी ( जंगल) स्थित है । उस जगह को प्राचीन काल के ऋषियों की तपोभूमि कहते हैं. जहाँ आज भी ऋषियों के कुछ अवशेष मौजूद हैं.।

जैसे ऋषि सरोवर, ऋषि गुफा, मुनि धुनि, वराह शीला, चूल्हा, बारस पीपल, भीम बाँध इत्यादि. बड़े बुजुर्ग बताते हैं के यहाँ डोंगरी के अंदर में झरना है, झील के जैसा छोटा तालाब है, हरा भरा मैदान है. जो हर समय ठण्ड और ताजगी से भरा रहता है।

यहाँ शिव का प्राचीन मंदिर है. और लंबी-लंबी अथाह सुरंगें हैं. जहाँ पत्थरों को हाथ से रगड़ने पर आज भी भभूत मिल जाती है. यही नहीं इस डोंगरी पर आयुर्वेदिक औषधियों का भी भंडार है. जहाँ आज भी वैद्यो को कई दुर्लभ प्रजाति की औषधियों तथा जड़ी बुटी के पौधे आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. डोंगरी के बाहर विशाल जलाशय है जो बारह महीने पानी से भरा रहता है. जो कि नहाने वाले को ताजगी से भर देता है.

इस जगह को ऐतिहासिक स्थल घोषित कर इसका संरक्षण करने तथा यहाँ सुविधाएं विकसित करने की मांग आस पास की जनता के द्वारा सरकार से कई वर्षों से की जा रही है तथा हर वर्ष मेले के वक़्त आस पास के जन प्रतिनिधियों को यहां मुख्य अतिथि के रूप में बुलाकर उनसे भी विनती की जाती है. पर उसे आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला है यदि यहाँ जाने हेतु पहुँच मार्ग तथा ऊपर चढ़ने हेतु सीढ़ियों का निर्माण करवा दिया जाए तो यहाँ पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं जो इस क्षेत्र के विकास में काफी मदद गार हो सकती हैं.।और क्षेत्र के विकास के साथ लोगो को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।




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