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महासमुन्द : आजीविका के लिए वन भूमि पर आश्रित लोगों को मिलेंगे वनाधिकार पत्र कलेक्टर ने व्यक्तिगत रूचि लेकर ग्राम स्तर पर अधिक से अधिक दावें पुनर्विचार हेतु आमंत्रित कराएं पुनर्विचार के पश्चात् 313 वनाधिकार पात्र पाए गए

आजीविका के लिए वन भूमि पर आश्रित लोगों को वनाधिकार पट्टा देने का कानूनन अधिकार है। परंतु कुछ प्रावधानों के कारण कुछ वनवासियों को उनका अधिकार नहीं मिल पा रहा। अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत् वनवासी अधिनियम 2006 प्रभावी होने के बावजूद जिले के कुछ निरस्त वनाधिकार आवेदक वनाधिकार पट्टे के लिए ग्राम सभा से लेकर जिला मुख्यालय तक चक्कर लगा रहे थे। उनकी इस पीड़ा को कलेक्टर डोमन सिंह ने पदभार संभालतंे ही समझा। उन्होंने वनाधिकार पत्रों दावों की तुलना में वितरित मान्यता पत्रों की स्थितियों पर गौर किया तो पाया कि कुछ आवेदन में तकनीकी खामियां थी। जिस पर उन्होंने पहली ही बैठक में वनाधिकार को मान्यता प्राप्त करने के क्षेत्र में और अधिक सक्रियता पूर्वक कार्य किए जाने पर बल दिया। निरस्त किए गए वनाधिकार की स्थिति पर जोर दिया। इसके अतिरिक्त निरस्त समुदाय प्रकरणों को पुनर्विचार में लेकर निराकृत किए जाने के निर्देश दिए।

कलेक्टर  डोमन सिंह ने सामुदायिक वनाधिकारों को मान्यता प्राप्त कराने हेतु व्यक्तिगत रूचि लेते हुए विभिन्न सामुदायिक प्रायोजनों हेतु ग्राम स्तर पर अधिक से अधिक दावें आमंत्रित कराएं और पात्रता को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत वनाधिकार, सामुदायिक वनाधिकार और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दावों पुनर्विचार पश्चात् पात्र दावों मंे गति आयी। कलेक्टर की इस कार्य के प्रति व्यक्तिगत रूचि रंग लायी। रंगों का त्यौहार होली से पहले शेष वनाधिकार पत्र हितग्राहियों को वितरित किए जायेंगे।

कलेक्टर सिंह के सतत् प्रयासों की बदौलत निरस्त वनाधिकार के पुनर्विचार दावों के सकारात्मक परिणाम सामनें आएं। अब तक व्यक्तिगत वनाधिकार के निरस्त कुल 2278, पुनर्विचार किए गए दावों में से 216 दावें पुनर्विचार पश्चात् पात्र पाए गए। इनमें महासमुन्द विकासखण्ड के 17, बागबाहरा के 63, पिथौरा के 32, बसना के 48 और सरायपाली के 56 दावें शामिल है। इन पात्र दावों में स्वीकृत भूमि का क्षेत्रफल (125.966 हेक्टेयर) है। वहीं सामुदायिक वनाधिकार के पुनर्विचार के कुल 43 दावें जिनमें बागबाहरा से 35 और सरायपाली के 8 है, पूरें दावें पात्र पाए गए। इनका भूमि क्षेत्रफल (4882.35 हेक्टेयर) है। इसी प्रकार वन संसाधन अधिकार के पुनर्विचार हेतु प्राप्त 54 दावों को जाॅच परीक्षण उपरांत सही पाया गया। इन दावों में महासमुन्द विकासखण्ड से 15, बागबाहरा से 30, पिथौरा से 5, बसना से 2 और सरायपाली से भी 2 दावें प्राप्त हुए थे। इन दावों की स्वीकृत भूमि का क्षेत्रफल 14539.007 है। आदिम जाति विकास अधिकारी ने बताया कि लगभग आधे से ज्यादा वनाधिकार मान्यता पत्र जिले में विभिन्न कार्यक्रमों में जिला प्रभारी मंत्री, विधायक, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के माध्यम से हितग्राहियों को सौंपे गए हैं।


मालूम हो कि जिले में इस वर्ष 72 वें गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2021) पहली बार वनाधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 के अंतर्गत वनाधिकार पत्र मिलें। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री  ताम्रध्वज साहू ने पाॅच ग्रामों को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र वितरण की शुरूआत थी। इस मौकें पर पाॅच लोगों को व्यक्तिगत वनाधिकार सौपें गए थे। इन दोनों का कुल रकबा लगभग 10 हजार हेक्टेयर था। सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मिलने पर ग्राम सभा जंगल, जंगली जानवर तथा जैव विविधता की सुरक्षा एवं संरक्षण तथा उसका पुनर्जिवित करने के एवं प्रबंधन करने के लिए अधिकृत हो जाती है। ग्राम सभा इस हेतु वनाधिकार नियम 2007 के निमय कंडिकाओं के तहत् ग्राम वन प्रबंधन कार्ययोजना भी बना सकती है।  




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