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महासमुंद : महिला सशक्तिकरण, बिहान दीदियां जला रही अपनी कामयाबी की ज़ोत, ग्रामीण महिलाएं स्व सहायता समूह से जुड़ परिवार को आर्थिक रूप से कर रही मजबूत

 महासमुंद ज़िले की 56 हजार से ज्यादा ग्रामीण महिलाएं 2200 से ज़्यादा महिला स्व सहायता समूह से जुड़ कर आज खुद का काम कर परिवार को आर्थिक रूप से कर रही मजबूत। कभी घर के दरवाजों तक ही सिमटी रहने वाली ये  ग्रामीण महिलायें चूल्हा-चौका, खेती किसानी के काम के साथ आज महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर अपनी आमदनी में इज़ाफ़ा कर रही है और गांव की दूसरी महिलाओं को भी जोड़ रही हैं। समूह की वजह से आज हम ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है। व्यक्ति के साथ महिलाओं ने कदम कदम पर अपने बुद्धि, धैर्य और साहस का परिचय दिया है। आज हम जिस दुनिया में जी रहे हैं, वह इसी का परिणाम है। आज का दौर रफ़्तार का है। जितना तेज रफ़्तार उतनी तेज उन्नति होगी। चाहे व्यक्ति की बात हो या किसी देश या राज्य की।

 सब रफ़्तार पर टिका है। जितना तेज़ी से काम होगा उतना तेज़ी से विकास भी होगा। मनुष्य अपने सांसों से अधिक तेज गति से विकास कर रहा है। शासन की यह महत्वाकांक्षी ‘‘बिहान‘‘ योजना हजारों महिलाओं की सामाजिक आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वरदान साबित हो रही है।राज्य शासन द्वारा महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर महासमुंद ज़िले की महिलायें अपने स्व-सहायता समूहों के माध्यम से धरातल पर आत्म निर्भरता का एक नया इतिहास रच रही हैं। या कही ये कि सरकार के सहयोग से महिलाएं अपनी कामयाबी की जोत जला रही है। चाहे वह रुक्मणी पाल जयमाँ सरस्वती समूह की बात हो जिन्होंने गौठान में 200 क्विंटल जैविक वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर 1.70 लाख रुपए कमाये है । या ज़िले की ऐसी 5200 से ज़्यादा महिला स्व सहायता समूहों की बात करें जिनमें 56 हजार महिलाएं मोमबत्ती , दीया , वाशिंग पाउडर , फिनायल , बाँस का टोकरी आदि बनाकर आत्मनिर्भर हुई है । महिलाओं के इस उद्यम ने छत्तीसगढ़ में स्त्री सशक्तिकरण की दिशा में उजियारा फैलाया है जो आगे निकलकर पूरे समाज की महिलाओं को हौसला दे रहा है ।

ज़िले में गोठनो को ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और ग्रामीण औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित करते हुए वर्मी खाद बनाने का प्रशिक्षण के साथ अन्य प्रशिक्षण संचालित किए जा रहे है। वे गोबर के दिया, राखी से लेकर गोबर लकड़ी आदि बना रही है। अब उन्हें रोज़ी रोटी के लिए और कहीं नही जाना पड़ता। वह सीधा अपने इलाक़े की गौठान में आकर कमाई कर रही है।इसी जिले के सभी विकासखंडों में महिला स्व-सहायता समूहों की महिलाएं अपने रुचि का प्रशिक्षण लेकर तार फेंसिंग, भवन निर्माण सेंट्रिंग, टेराकोटा सामग्री निर्माण, मसाले, साबुन, अचार बड़ी पापड़ आदि बना रही है। इनके द्वारा बनाई गई सामग्रियों की स्थानीय बाज़ार के साथ पड़ोसी ज़िलो सहित राजधानी रायपुर में भी है। माँ सरस्वती महिला स्व-सहायता समूह की श्रीमती रुक्मणी पाल ने बताया की उन्होंने गो धान न्याय योजना में 200 क्विंटल वर्मी खाद बनाया जिसमें उन्हें 1.70 लाख रुपए का लाभ हुआ।

   
वही महासमुंद के आदर्श गौठान ग्राम बारोंडाबाजार राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ‘‘बिहान‘‘ योजना के द्वारा गठित स्व सहायता समूह को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने हेतु एक अनुठी पहल की गई है। बिहान योजना से जुड़ी स्व सहायता महिला द्वारा विभिन्न प्रकार के आजीविका गतिविधि जैसे वर्मी खाद् निर्माण, टेराकेाटा उत्पाद निर्माण, मिठाई निर्माण, सिलाई कायर्, फोटोकापी दुकान एवं दोनापत्तल निर्माण कार्य अपने दैनिक जीवन को सफल बनाने के लिए कर रही है। इन उत्पादो की बिक्री हेतु ग्राम पंचायत बरोण्डाबाजार में माॅडल गौठान के पास ‘‘बिहान‘‘ बाजार खोला गया है। जिसमें समूह द्वारा कपडों की सिलाई-कढ़ाई का कार्य एवं दोनापत्तल बनाकर बेचने का कार्य ‘‘बिहान‘‘ बाजार के माध्यम से किया जायेगा। बरोंडाबाजार में स्थित कालेजो में कामधेनु स्व सहायता समूह द्वारा कैन्टिन चलाने का कार्य भी बिहान बाजार में किया जायेगा। इस तरह वे अपने आय को दुगूना करने का प्रयास कर रहे है। शासन की यह महत्वाकांक्षी ‘‘बिहान‘‘ योजना हजारों महिलाओं की सामाजिक आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वरदान साबित हो रही है।




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