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फेसबुक और इंस्टाग्राम ने किया पीआईबी के पोस्ट को डिलीट...फैक्ट चेकिंग में पारदर्शिता की मांग कर रही सरकार

ताजा मामला सरकारी संस्था प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के एक पोस्ट को डिलीट करने का है। इस पोस्ट में पीआईबी ने कोरोनावायरस की वैक्सीन और उससे जुड़े मौतों के दावे को लेकर एक फैक्ट चेक किया था। हालांकि, फेसबुक और इंस्टाग्राम ने पीआईबी के इस पोस्ट को डिलीट कर दिया। बाद में सरकार के दखल के बाद दोनों प्लेटफॉर्म्स पर ये पोस्ट रीस्टोर किया गया। 

पीआईबी के अकाउंट से जो पोस्ट साझा किया गया था उसमें वैक्सीन और आगे उससे होने वाली मौतों के एक दावे का फैक्ट चेक किया गया था। दरअसल, सोशल मीडिया पर लंबे समय से वैक्सीन के झूठे दावों को लेकर पोस्ट तैर रही थी। इसमें फ्रांसीसी नोबेल पुरस्कार विजेता लुक मोंटैग्नियर की तस्वीर और कथित बयान लगाया गया था। पोस्ट में कहा गया था कि कोरोनावायरस की वैक्सीन लगवाने लोगों का दो साल के अंदर ही निधन हो जा रहा है। 

इस पोस्ट को भारत में भी बड़ी संख्या में लोग सच मान रहे थे। ऐसे में पीआईबी ने इस पर जो फैक्ट चेक किया, उसमें साफ लिखा- “सोशल मीडिया पर कोरोना वैक्सीन को लेकर फ्रेंच नोबेल विजेता की फोटो के साथ एक कथन वायरल हो रहा है। फोटो में जो कथन है, वो पूरी तरह झूठा है। कोरोना वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित हैं। इस फोटो को फॉरवर्ड न करें।”

सूत्रों के मुताबिक, पीआईबी के इस फैक्ट चेक के पोस्ट होने के एक दिन बाद ही फेसबुक और इंस्टाग्राम ने इसे बिना कोई जानकारी दिए हटा दिया। इतना ही नहीं फेसबुक की ओर से चेतावनी दी गई कि अगर वह गलत जानकारी फैलाता है, तो उसके पेज को हटाया भी जा सकता है।

आईटी मंत्रालय से हुई शिकायत, तब रीस्टोर हुआ पोस्ट: पीआईबी अधिकारियों ने बाद में इसकी शिकायत आईटी मंत्रालय से की, जिसने इस मुद्दे को ईमेल के जरिए फेसबुक और इंस्टाग्राम के अधिकारियों के सामने उठाया। इस दखल के बाद ही दोनों प्लेटफॉर्म्स ने पीआईबी के फैक्ट चेक को रीस्टोर कर दिया। फेसबुक के एक प्रवक्ता ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि उसने गलती से अस्थायी तौर पर कंटेंट को ब्लॉक कर दिया था।

बताया गया है कि इस घटना के बाद आईटी मंत्रालय ने कंपनी से फैक्ट चेकर की नियुक्ति में पारदर्शिता न बरतने पर भी चिंता जताई है। आईटी मंत्रालय के एक अफसर ने बताया- “दोनों ही प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक और इंस्टाग्राम) मजबूत फैक्ट चेकिंग के तरीके होने की बात कहते हैं। पर जब हमने उनसे पीआईबी के हटाए गए पोस्ट पर बात की, तो उन्होंने कहा कि यह अनजाने में हो गया, क्योंकि मशीन ने इसे गलत खबर करार दे दिया था। इस पर हमने सवाल उठाया कि आखिर इसे इंसानी फैक्ट चेकर से क्रॉस चेक क्यों नहीं कराया गया।”

फैक्ट चेकिंग में पारदर्शिता की मांग कर रही सरकार: माना जा रहा है कि आईटी मंत्रालय इन सोशल मीडिया मध्यस्थों को अपनी फैक्ट चेकिंग प्रक्रिया के प्रति और ज्यादा पारदर्शी होने और नियुक्त हुए फैक्ट चेकर्स की जानकारी देने के लिए कहा है। बता दें कि सोशल मीडिया पर फैक्ट चेकर्स का यह मुद्दा पिछले महीने भी उठा था, जब ट्विटर ने कुछ भाजपा सदस्यों के पोस्ट को इसलिए मैनिपुलेटेड मीडिया मार्क कर दिया था, क्योंकि उन्होंने कांग्रेस की टूलकिट का जिक्र किया था। इस पर भी मंत्रालय ने ट्विटर को चिट्ठी लिख यह टैग हटाने की मांग की थी।

बताया गया है कि इससे पहले 10 मई को भी फेसबुक और इंस्टाग्राम ने पीआईबी के एक पोस्ट को हटा दिया था। इसमें पीआईबी की फैक्ट चेक टीम ने कोरोना की शुरुआती स्टेज के मरीजों के स्टेरॉयड लेने से जुड़ी अफवाहों का जवाब दिया था। फेसबुक ने इस पोस्ट को फेक करार दिया था, लेकिन बाद में गलती स्वीकारते हुए इसे रीस्टोर कर दिया गया।




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