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18 जून को IMA द्वारा बाबा रामदेव के खिलाफ मोर्चा

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष वाय के शिंदे और सचिव शिवकुमार नायक ने बताया कि कुछ बिज़नेस टाइकून अपने व्यापारिक कारणों से चिकित्सकों के बारे में अशोभनीय टिप्पणी की है जिससे हम सब को दुःख हुआ है। हमारी ओर से कभी उनके बारे में कुछ नहीं कहा गया लेकिन एलोपैथ और एलोपैथी डॉक्टर्स के बारे में बाबा रामदेव ने टिप्पणी की। इसके अलावा इस कोरोना काल में जबकि ज्यादातर चिकित्सक जीवन बचाने की जद्दोजहद में थे ऐसे समय में उनपर असम, बंगाल, बिहार दिल्ली कर्नाटक सहित कई जगहों पर हमला किया गया, जो गलत है। 

उन्होंने कहा कि हमने इन मुद्दों को प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री तक के संज्ञान में लाने का भरसक प्रयास किया है । अब सरकार को इस मुद्दे पर आ0न रकह स्पष्ट करना चाहिए। इस संबंध में मुख्यतः चार मांगे रखी गई है जिसमे Central Hospital & Health Care Professionals Protection Act. लागू करना, केंद्रीय और राज्य स्तरीय अस्पतालों में सुरक्षा का दायरा बढ़ाना, अस्पतालों को सुरक्षित जोन घोषित करना और अस्पतालों में मारपीट करने वालों को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के द्वारा जल्दी न्याय सुनिश्चित करना शामिल है।

इसके बाद IMA के प्रदेश अध्यक्ष डॉ घनश्याम अग्रवाल ने रामदेव पर निशाना साधते हुए लाला रामदेव तक कह दिया। जब उनसे यह पूछा गया कि बाबा रामदेव के अगेंस्ट सरकार ने IMA को सपोर्ट क्यों नहीं किया तो उन्होंने इसे वोट बैंक का मामला बताया। IT सेल द्वारा ईसाइयों के संगठन संबंधी प्रचार होम पर उन्होंने इसे भी वोट की राजनीति बता दिया। हालांकि डॉक्टर्स के ऊपर लगाए गए आरोपों को अपवाद करार दिया और सवालों को बाईपास कर दिया।




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