12 जुलाई से पुरी रथ यात्रा ....15 दिन बाद नव यौवन नैत्र उत्सव
पुरी रथ यात्रा (Puri Rath Yatra) 12 जुलाई सोमवार से निकाली जाएगी. जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2021) 12 जुलाई से शुरू होगी तथा 20 जुलाई को खत्म होगी. इस यात्रा के पहले दिन भगवान जगन्नाथ ( God Jagannath)प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं. रथ बनाने की तैयारियां जोरों शोरों पर है. तलध्वज के रथ में 14 पहिए हैं, नंदीघोष के रथ में 16 और देवदलाना के रथ में 12 हैं. सभी रथों में पहिए लगाने का कार्य पूरा हो चुका है. हालांकि फिनिशिंग अभी बाकी हैमीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना काल को देखते हुए यात्रा में शामिल होने वाले अधिकारियों को 4 बार आरटी-पीसीआर जांच करना होगा. नेगेटिव आने के बाद ही वो रथ यात्रा में शामिल हो सकेंगे. पुरी रथ यात्रा देश और दुनिया भर में काफी मशहूर है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है. पौराणिक कथा से जानें रहस्य .
पौराणिक मत यह है कि स्नान पूर्णिमा यानी ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जगत के
नाथ श्री जगन्नाथ पुरी का जन्मदिन होता है. उस दिन प्रभु जगन्नाथ को बड़े
भाई बलराम जी तथा बहन सुभद्रा के साथ रत्नसिंहासन से उतार कर मंदिर के पास
बने स्नान मंडप में ले जाया जाता है.
तब 15 दिन तक प्रभु जी को एक विशेष कक्ष में रखा जाता है. जिसे ओसर घर कहते
हैं. इस 15 दिनों की अवधि में महाप्रभु को मंदिर के प्रमुख सेवकों और
वैद्यों के अलावा कोई और नहीं देख सकता. इस दौरान मंदिर में महाप्रभु के
प्रतिनिधि अलारनाथ जी की प्रतिमा स्थपित की जाती हैं तथा उनकी पूजा अर्चना
की जाती है.
15 दिन बाद भगवान स्वस्थ होकर कक्ष से बाहर निकलते हैं और भक्तों को दर्शन
देते हैं. जिसे नव यौवन नैत्र उत्सव भी कहते हैं. इसके बाद द्वितीया के दिन
महाप्रभु श्री कृष्ण और बडे भाई बलराम जी तथा बहन सुभद्रा जी के साथ बाहर
राजमार्ग पर आते हैं और रथ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं.