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स्कूबी के ज़ख्म ने महसूस कराया वांचना को जानवरों के दर्द से....दर्द की अनुभूति और लोगों के साथ से अस्तित्व में आया लक़ी टेल्स

इंसानो की दुनिया में जहाँ इंसान खुद एक दूसरे से ही असुरक्षित है वंही जानवरो के साथ की जाने वाली इनकी क्रूरता भी कम नहीं है कुछ महीने पहले ही असामजिक तत्वों द्वारा बंदरो के झुण्ड को जहर देकर मारने का मामला सामने आया था वही कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने भी गली में घूमने वाले बेजुबान कुत्तो को तेज़ाब पीला कर भाग गए हालाँकि अज्ञात व्यक्तियो पर जुर्म दर्ज किया गया

यह कहना गलत होगा की इंसान जानवरो से डरते है बल्कि इतिहास में भी कई जानवरो का शिकार इंसान ही सबसे ज्यादा किया करते थे और अब भी उन पर अमानवीय बर्बरता दोहराई जाती है बर्बरता के बीच कुछ लोग ऐसे भी मौजूद है जो जानवरो के सरंक्षण के लिए लगातार एक्टिव है व महामारी के दौरान भी उन्होंने कई बेघर भूखे जानवरो को खाना खिलाया। प्रदेश के राजधानी में भी ऐसे कई संगठन है जो बेघर बेजुबानो की मदद के लिए हर वक़्त आगे रहते है इन्ही में से एक है रायपुर ( कोटा ) की वांचना लाबान।

वांचना लाबान काफी सालो से इन्ही बेजुबानो की सहायता के लिए काम कर रही है जिसकी शुरुआत उनके अपने घर से हुई थी वांचना ने बताया की उनके pet (स्कूबी ) पर गली के एक कुत्ते ने हमला कर जख्मी कर दिया था जिसके बाद से ही वांचना ने अपने पालतू स्कूबी की देखभाल किये इसी दौरान उन्हें ख्याल आया की सिर्फ एक जानवर जब दर्द में हो सकते है तो और भी कितने जानवर होंगे बहार जो आये दिनों भूखे और बीमारी या अन्य दुर्घटनाओं में जख्मी हो कर मर जाते होंगे।।। और फिर इसी विचार के साथ उन्होंने अपना काम चालू किया

 5 सालो तक अन्य सरंक्षण व सहायता संगठन के साथ काम करने के बाद उन्होंने खुद के छोटे से संगठन बनाये चूँकि वे पहले से इन कामो में काफी एक्टिव थी तो लोग जुड़ते चले गए लकी टेल्स की संस्थापक वांचना लाबान अपनी टीम के साथ ना सिर्फ गली में घूमने वाले जानवरो को खाना खिलाती है बल्की दुर्घटनाओं से हुए ज़ख़्मी जानवरो के उपचार करने में भी मदद करती है इसके लिए पब्लिक फण्ड द्वारा पैसा इकठ्ठा किया जाता है व कई बार वे खुद ही अपने खर्चे पर सारा काम करवाती है।

ज़ख़्मी जानवर को लोग फेकने को तैयार पर नहीं भर पते ज़ख्म में दवा
अपने व्यक्तिगत अनुभवों में से एक किस्सा साझा करते हुए वांचना ने बताया की काम करते हुए इतने सालो में उन्हें जानवरो की मदद करके काफी सुकून मिलता है वे इनसे लगाव महसूस करती है वही इनके काम को देखा कर अन्य लोग भी उनकी मदद करते है वे भी जानवरो से लगाव दिखाने में नहीं हिचकते बल्कि वे कई बार इमरजेंसी में भी ज़ख़्मी जानवरो को अपने घर में रखने को तैयार हो जाते है वही कुछ डॉक्टर्स ऐसे भी है जो फ्री में ऑपरेशन्स भी कर दिया करते है। उन्होंने बताया की उन्हें कॉल्स आते है अगर कही पर कोई जानवर संदिग्ध हालातो में मिले तो उनके मौजूद नहीं होने पर उनकी टीम जाती है ऐसे मिलजुल कर वे और भी संगठनों के सदस्यों के साथ कार्य करते है।। कई बार ऐसा भी होता है की कुछ कॉल करके डायरेक्ट यह तक कह देते है की आप आ कर जानवरो को लेजाए अन्यथा वे इन्हे फेकवा देंगे। जो की खुद में एक मार्मिक अनुभूति है।।।

चाहती है खुद का शेल्टर होम्स -

भविष्य के लिए वांचना ने बेजुबानो के लिए शेल्टर होम बनाने की योजना बनाई है जहाँ वे छोड़ दिए गए कुत्तो के साथ अन्य गली व सड़को में घुमनें वाले जानवरो को भी अच्छी सेहत के साथ खाना और घर दे सके ताकि वे कई प्रकार की बीमारी भुखमरी और दुर्घटनाओं से बच सके .




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