हाथियों का आतंक सरगुजा, गरियाबंद से लेकर महासमुंद तक.... वहीं कांकेर के क्षेत्र में पहुंचे तेंदुए....हाथियों से हुई मौत के वर्षवार आंकड़े
वैसे तो प्रदेश के अधिकतर इलाके हाथियों के आतंक से डरे सहमे है...जंगली जानवरो के आक्रोश से भी लोगो परिचित होने का मौका मिल रहा है...जान से लेकर अनाज माल तक का नुक्सान हाथियों के द्वारा किआ जा रहा है इन सब के बीच यह खबर भी ज्ञात होनी चाहिए कि हाथियों से फसलों को बचाने करंट तार में कितनी हाथियो की भी मौतें हुई है...15 मई को महासमुंद के ग्राम परसाडीह में एक 15 साल के लड़के के सामने उसके पिता को हाथी ने मार डाला था। सालभर पहले एक किसान को भी हाथी ने घसीट-घसीट कर मार दिया था। उस वक्त किसान अपने खेत में काम कर रहा था। तभी अचानक आए हाथी ने उस पर हमला कर दिया था।
महासमुंद में 3 साल में 16 लोगों की मौत
एक आंकड़े के मुताबिक जिले में पिछले तीन सालों में 16 लोगों की जान जा चुकी है। सर्वाधिक 7 मौतें वर्ष 2019-20 में हुई थी। वहीं 2020-21 में 4 और 2021-22 में अब तक 5 मौतें हुई। महासमुंद के शहरी और ग्रामीण इलाकों में आए दिन हाथियों की वजह से दहशत का माहौल रहता है। इस इलाके में हाथी अब भी कहीं न कहीं गांव में घुस आते हैं। अक्सर ग्रामीण या वन विभाग की टीमें इन्हें जंगलों में खदेड़ती है।
अब तक हाथियों से हुई मौत के वर्षवार आंकड़े
वर्ष मौतें
2015- 02
2016- 03
2017- 03
2018- 07
2019- 04
2020- 02
2021- 06
महीने के शुरुआत में ही सरगुजा जिले में 25 गजों ke झुंड दिखाई दी थी...जिले में जंगली हाथियों के हमले में पति, पत्नी और उनके चार साल के बेटे की मौत हो गई थी। सरगुजा जिले के वन विभाग के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया था कि जिले के उदयपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत मोहनपुर गांव के करीब बुधवार को जंगली हाथियों के हमले में गौतम दास (30), पत्नी रीना दास (28) और उनके चार वर्षीय पुत्र युवराज की मौत हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि लखनपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत कुन्नी गांव निवासी गौतम दास अपने परिवार के साथ स्कूटी से उदयपुर गांव गया था। वापसी के दौरान जब परिवार मोहनपुर गांव के करीब पहुंचा तब उनका सामना जंगली हाथियों के एक दल से हो गया।
गरियाबंद – जिले में एक बार फिर हाथियों की आमद बढ़ गयी है। हाथियों के दो
दल इन दिनों पांडुका और फिंगेश्वर वन परिक्षेत्र में विचरण कर रहे है। वन
विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन हाथियों का एक दल कल शाम मुरमुरा
गांव के आसपास देखा गया वही एक गजराज को रात के अंधेरे में चरोदा गांव में
विचरण करते देखा गया।
चरोदा गांव के लोगों के मुताबिक बीती रात एक हाथी उनके गांव में
घुस आया। रात के अंधेरे में हाथी एक गली से दूसरी गली घूमते रहा और फिर
कुंडेल की ओर आगे बढ़ गया। ग्रामीणों ने बताया यह तकरीबन 9 बजे की घटना है।
जब ग्रामीण खाना खाने के बाद सोने की तैयारी कर रहे थे। उसी समय हाथी घुसने
की खबर गांव में आग की तरह फैल गयी।
गांवो में गजराजमित्रों की भी नियुक्ति की गई है ताकि गांव में हाथियों की
आमद होने पर गजराज मित्र उन पर नजर बनाए रखे और हाथियों को गांवो में ना
घुसने दिया जाए। वन विभाग ने एक बार फिर ग्रामीणों को हाथियों से दूर रहने
की सलाह दी है।
वहीं कांकेर क्षेत्र में भानुप्रतापपुर इलाके में हाथियों का कुछ दाल विचरण करते हुए नजर आये थे...वा उनपर लगातार नजर बनायी जा रही थी...पहाड़ी इलाके होने के कारण कांकेर में भालू व तेंदुए ही दिखाई देते रहते है...हाल ही में कांकेर में वन विभाग के जाल में फंसा एक और तेंदुआ कांकेर के पलेवा क्षेत्र से
वन
विभाग ने पकड़ा है. अब तक पकड़े गए तीन तेंदुए में से एक की मौत चुकी है. वन अमले द्वारा लगाए गए पिंजरे में शुक्रवार रात को यह तेंदुआ कैद हुआ है. क्षेत्र से अब तक तीन तेंदुए पकड़े जा चुके हैं.