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महासमुंद: सिरपुर राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय हेरिटेज के रूप में हो रहा विकसित

महासमुंद: सिरपुर को राष्ट्रीय,अंतर्राष्ट्रीय हेरिटेज के रूप में विकसित करने और ज़्यादा पहचान दिलानें शासन कटिबद्ध है। जो भी ज़रूरी कार्य है किए जा रहे है । सिरपुर बहुत ही विस्तृत है। जो लगभग 10 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इस तरह अन्य जगह विस्तारित बौद्ध केन्द्र नहीं हैं। सिरपुर, डोंगरगढ़ और मैनपाट को टूरिज्म सर्किट से जोड़ने की तैयारी की जा रही है। पर्यटन सर्किट से जुड़ जाने से इस ओर सैलानियों का रूझान बढ़ेगा। जल्दी ही सिरपुर पूरे विश्व मानचित्र पर अंकित होगा। छत्तीसगढ़ का प्राचीनकाल से ही सभी क्षेत्रों में बढ़-चढ़कर योगदान रहा है। छत्तीसगढ़ हमेशा से देवभूमि रहा है। सिरपुर शिव, वैष्णव, बौद्ध धर्मों के प्रमुख केन्द्र भी है।

सिरपुर अपनी ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्ता के कारण आकर्षण का केंद्र हैं। यह पांचवी से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कोसल की राजधानी थी। यह स्थल पवित्र महानदी के किनारे पर बसा हुआ हैं। सिरपुर में सांस्कृतिक एंव वास्तुकौशल की कला का अनुपम संग्रह हैं.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल माह अप्रैल में सिरपुर बौद्ध महोत्सव में शामिल हुए थे। उन्होंने सिरपुर के विकास के लिए 213.43 लाख के कार्याें की घोषणा की। इनमें 25 लाख रूपए से भव्य स्वागत गेट का निर्माण, 73.15 लाख रूपए से सिरपुर मार्ग पर 04 तालाबों का सौंदर्यीकरण, 45.28 लाख रूपए से सिरपुर मार्ग पर 05 सुन्दर सुगंधित उपवन निर्माण, कोडार-पर्यटन (टैटिंग एवं बोटिंग) 31.76 लाख रूपए, कोडार जलाशय तट पर वृक्षारोपण 17.38 लाख रुपए से और सिरपुर के रायकेरा तालाब के लिए 30.86 लाख रूपए की लागत से बनाए जा रहे है। मुख्यमंत्री की घोषणा अनुरूप सभी काम अंतिम चरण में है । सैलानियों के लिए रायकेरा तालाब में बोटिंग चालू माह के अंत तक शुरू हो जाएगी।

सिरपुर पहले से ही प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है। वृक्षारोपण के ज़रिए इसे और भी हरा-भरा किया जा रहा है। पर्यटकों के विश्राम सुविधा के लिए सुगंधित फूलों वाली सुंदर उपवन वाटिकाएँ तैयार करने पर ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है। वृक्षारोपण में बेर, जामुन, पीपल, बरगद, नीम, करंज, आंवला आदि के पौधें शामिल किए गए है।ताकि ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ लोगों को जैव विविधता का ऐहसास भी हो।

इस इलाक़े में राम वन गमन पथ में छह ग्राम पंचायतों को मुख्य केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिसमें अमलोर, लंहग़र, पीढ़ी, गढ़सिवनी, जोबा एवं अछोला शामिल है। सड़क के दोनों किनारों पर फलदार, छायादार पौधें लगाए जा रहे है। इसके लिए राशि भी स्वीकत की गयी है।  

सिरपुर रास्ते को और भी सुंदर बनाने के लिए सड़क किनारे के पेड़ों पर विगत माह पहले युवाओं ने चित्रकारी की। चित्रकारी में युवाओं ने अपनी रचनात्मकता प्रस्तुत करते हुए छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक दिखाई। युवाओं ने पेड़ों के तनों पर और सड़क किनारें पड़े बड़े-बड़े पत्थरों पर बौद्ध के चित्र के साथ छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा और रीति-रिवाजों के साथ ही देवी-देवताओं के बेहतरीन चित्र बनाए, जिसकी तारीफ़ हुई।




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